1997 में सेवानिवृत्त कर दिए जाने के बाद आईएनएस विक्रांत को एक नए रूप में फिर से भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. यह लगभग पूरी तरह से भारत के ही अंदर बना पहला विमान वाहक जंगी जहाज है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करेंगे. यह एक एतिहासिक क्षण है.नौसेना में इसके शामिल होने से भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में भी शामिल हो गया, जिनके पास खुद विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है।
इसे मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है. यह अब तक का भारत का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत है. करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस विमानवाहक पोत ने पिछले महीने समुद्री परीक्षणों के चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया था.सबसे पहली और गौर करने वाली बात यह है कि भारत में बने आईएनएस विक्रांत में इस्तेमाल सभी चीजें स्वदेशी नहीं हैं।
नौसेना के मुताबिक, पूरे प्रोजेक्ट का 76 फीसदी हिस्सा देश में मौजूद संसाधनों से बना है।आईएनएस विक्रांत भारत में बनने वाला पहला विमानवाहक पोत है और भारत में बनने वाला सबसे बड़ा जहाज है.आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है और इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है.