लखनऊ की राजाजीपुरम कॉलोनी के ऍफ़ ब्लाक में डा. अर्चना भटनागर द्वारा अंकुर नर्सिंग होम नाम के हॉस्पिटल का अवैध सञ्चालन करने का मामला भी अब न्यायमित्र के जरिये हाई कोर्ट पहुंचेगा. लम्बे समय से अंकुर हॉस्पिटल के अवैध सञ्चालन को रोकने की मुहिम चला रही स्थानीय समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा अब अंकुर हॉस्पिटल के मामले से सम्बंधित प्रपत्रों को लेवाना सुइट्स अग्निकांड मामले में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर सुनी जा रही साल 2022 की जनहित याचिका संख्या 605 में शामिल कराने के लिए न्यायमित्र अधिवक्ता नीरव चित्रवंशी मोबाइल नंबर 9335203217 को अपने अधिवक्ता के मार्फत पंहुचाकर हाई कोर्ट से अंकुर हॉस्पिटल मामले को भी जनहित याचिका में शामिल कर क्षेत्रवासियों को हॉस्पिटल के अवैध सञ्चालन से हो रही परेशानियों से निजात दिलाने की गुहार लगाएंगी।
बताते चलें कि हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने हजरतगंज के लेवाना होटल अग्निकांड मामले का खुद संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज कराया था.कोर्ट ने एलडीए के वीसी और लखनऊ के चीफ फायर अफसर से शहर के उन व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया था जो ढांचागत सुरक्षा और अग्निशमन सुरक्षा मानकों को दरकिनार करके चल रहे हैं साथ ही ऐसे भवनों के भू-उपयोग (लैंडयूज) की जानकारी भी मांगी थी. कोर्ट ने यह भी पूछा था कि क्या स्वीकृत नक्शे के तहत अनापत्ति दी गई या गलत तरीके से अनापत्ति दी गई।
मामले में सहयोग के लिए स्थानीय अधिवक्ता नीरव चित्रवंशी को बतौर न्यायमित्र नियुक्त करते हुए कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई निजी समस्या उठाना चाहता है तो उसे न्यायमित्र अधिवक्ता के जरिये कोर्ट के समक्ष रख सकता है. उर्वशी ने बताया कि कोर्ट के इस आदेश के तहत ही वे अंकुर हॉस्पिटल का मामला हाई कोर्ट के सामने लेकर जा रही है।
एक्टिविस्ट उर्वशी बताती हैं कि अंकुर हॉस्पिटल की बिल्डिंग का निर्माण दो आवासीय प्लॉट्स को जोड़कर अवैध रूप से किया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद उनकी अनेकों शिकायतों के बाद भी अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले इस हॉस्पिटल की बिल्डिंग को सील करने और इसे ध्वस्त करने की कोई भी कार्यवाही नहीं कर रहा है और इसी प्रकार अग्निशमन विभाग भी उनकी शिकायतों के बाद भी इस अवैध बिल्डिंग में चल रहे हॉस्पिटल की तरफ आँखें मूंदे बैठा है. उर्वशी ने बताया कि हॉस्पिटल द्वारा रोड पर अवैध कब्ज़ा करके बने गई पार्किंग और रखे गए जनरेटर को जप्त कर अतिक्रमण को हटाने के सम्बन्ध में विगत कई वर्षों में की गई उनकी शिकायतों पर नगर निगम लखनऊ दर्जनों बार अतिक्रमण हटाने की तिथि नियत कर चुका है पर नगर निगम की कार्यवाही महज कागजों पर ही हो रही है और मौके पर आकर नगर निगम ने एक बार भी कार्यवाही नहीं की है।
बकौल उर्वशी उनकी शिकायत के बाद विगत दिनों लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी ने हॉस्पिटल के सञ्चालन को अवैध पाते हुए इसकी चिकित्सीय गतिविधियों पर रोक लगाते हुए थाना तालकटोरा के थानाध्यक्ष को भी इस बात की इत्तला दी थी लेकिन स्थानीय पुलिस के अवैध संरक्षण के चलते मुख्य चिकित्साधिकारी के आदेश के बाद भी हॉस्पिटल प्रबंधन अवैध रूप से हॉस्पिटल चला रहा है और बाज़ारखाला के क्षेत्राधिकारी से शिकायत करने के बाद भी हॉस्पिटल के अवैध सञ्चालन के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही है।
उर्वशी का कहना है कि अंकुर हॉस्पिटल भी इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि कैसे सरकारी महकमों के भ्रष्टाचार के चलते लेवाना जैसे होटल चलते रहते हैं और हादसे होने के बाद ही इन महकमों के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो पाती है. उर्वशी ने बताया कि अंकुर हॉस्पिटल को बंद कराने और इस हॉस्पिटल के अवैध सञ्चालन के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने वाले सभी दोषी अधिकारियों को दण्डित कराने के लिए वे अपने अधिवक्ता के मार्फत सभी आवश्यक प्रपत्र न्यायमित्र को सौंपकर जनहित याचिका के माध्यम से कार्यवाही कराने का प्रयास करेंगी। उर्वशी को उम्मीद है कि हाई कोर्ट अंकुर हॉस्पिटल मामले का भी संज्ञान लेकर यथेष्ट कार्यवाही करेगा और स्थानीय निवासियों को अंकुर हॉस्पिटल के अवैध सञ्चालन के चलते हो रही परेशानियों से निजात दिलाएगा और सभी दोषी लोकसेवकों को भी दण्डित करेगा।