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फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जन जागरूकता ज़रूरी- डीएमओ

कानपुर नगर। फाइलेरिया जैसे गंभीर संक्रामक रोग से मुक्ति दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग तत्पर है। नाइट सर्वे और रोग प्रबंधन और प्रशिक्षण के माध्यम से लोगों को जागरूक बनाया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया उन संक्रामक रोगों में से एक है जिससे देश में प्रति वर्ष काफी लोग प्रभावित हो रहे हैं। फाइलेरिया जिसे हाथीपांव से भी जाना जाता है, यह मादा क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलने वाला एक दर्दनाक रोग है। इसमें संक्रमित व्यक्ति के शरीर का प्रभावित हिस्सा विकलांग हो सकता है। इसके लिए साल में एक बार ट्रिपल ड्रग थेरेपी-मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान चलाया जाता है। इसमें लक्षित आबादी को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाती है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन का कहना है कि जनपद को फाइलेरिया उन्मूलन करने की दिशा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए नाइट ब्लड सर्वे, एमडीए अभियान एवं अन्य जांच व सर्वेक्षण अभियान के साथ जन जागरूक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। सीएमओ ने जनमानस से अपील की है कि डेंगू, मलेरिया आदि मच्छर जनित रोगों की तरह फाइलेरिया को भी गंभीरता से लें और इसके प्रति सतर्क एवं जागरूक रहें।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया रोग #क्यूलेक्स_मच्छर काटने से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है। ये मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेती हैं। साथ ही बताया की फाइलेरिया के कारण व बचाव के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए ही प्रत्येक वर्ष 11 नवम्बर को राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस मनाया जाता है lउन्होंने बताया की वर्तमान में 2387 फाइलेरिया लिम्फोडिमा (हाथीपांव) और 622 हाइड्रोसील के मरीजों का इलाज चल रहा है। फाइलेरिया के मरीजों को स्वच्छता और साफ-सफाई के उद्देश्य से एमएमडीपी किट निःशुल्क प्रदान की जाती है।

फाइलेरिया के लक्षण- पाथ संस्था के प्रोग्राम ऑफिसर डॉ अनिकेत का कहना है कि आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते । लेकिन पसीना, सिर दर्द, हड्डी व जोड़ों में दर्द, भूख में कमी, उल्टी आदि के साथ बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है । इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, #हाथी_पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। इसके लक्षण दिखने में 8 से 16 माह या अधिक समय लग सकता है। उन्होने कहा कि फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

आहार और सफाई का रखें ख्याल

फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमने ना दें, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें। एक तरफ जहां मरीजों का उपचार एवं प्रबंधन तो दूसरे तरफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को साल में एक बार दवा का सेवन कराना आवश्यक है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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