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Mutual फंड उद्योग का शुल्क घटाने की जरूरत

मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने Mutual म्यूचुअल फंड उद्योग में निवेशकों से वसूले जाने वाले शुल्क यानी टोटल एक्सपेंस रेशियो (टीईआर) को निचले स्तर पर लाने की जरूरत पर बल दिया है। गुरुवार को एक कार्यक्रम में पूंजी बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने उद्योग में और ज्यादा स्पर्धा की भी वकालत की।

वर्तमान में Mutual फंड उद्योग के

उन्होंने कहा कि वर्तमान में Mutual म्यूचुअल फंड उद्योग के करीब 70 फीसद हिस्से पर शीर्ष सात फंड कंपनियां काबिज हैं और इन्हीं कंपनियों के खाते में म्यूचुअल फंड उद्योग के मुनाफे का करीब 60 फीसद हिस्सा जाता है। त्यागी ने कहा, “सेक्टर में और ज्यादा स्पर्धा की जरूरत है। इसके साथ ही टीईआर को तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है और हम इन चीजों पर नजर रख रहे हैं।

“ पिछली सदी के आखिरी दशक में म्यूचुअल फंड उद्योग में जब टीईआर की शुरुआत हुई थी, तब उद्योग का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) सिर्फ 50,000 करोड़ रुपये था। अब यह बढ़कर 23 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। ऐसे में टीईआर को कम करने की बेहद जरूरत है। उनका कहना था म्यूचुअल फंड उद्योग के कुल एयूएम की यह राशि भी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 11 फीसद है, जिसे बढ़ाए जाने की सख्त जरूरत है।

सेबी चेयरमैन के मुताबिक म्यूचुअल फंड कंपनियों को निवेश लायक अन्य शेयरों की तलाश भी करनी चाहिए, क्योंकि उनका मौजूदा निवेश सीमित शेयरों के इर्द-गिर्द घूमता है। गौरतलब है कि किसी भी फंड कंपनी द्वारा निवेशक से उसके निवेश के प्रबंधन के लिए ली गई कुल राशि को टीईआर कहा जाता है। इसमें सभी मदों के शुल्क शामिल होते हैं।

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