हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अस्थायी से स्थायी हुए सरकारी कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि ऐसे कर्मचारियों का गैर नियमित सेवाकाल भी पेंशन का आकलन करते समय उनके कुल कार्यकाल में जोड़ा जाएगा।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने यह निर्णय उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधि मान्यकरण अधिनियम, 2021 की धारा 2 के सम्बंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2019 में प्रेम सिंह मामले में दिये गए फैसले की व्याख्या करते हुए पारित किया है। न्यायालय ने कार्य प्रभारी कर्मचारी, दैनिक मजदूर और सीजनल संग्रह अमीनों की ओर से अलग-अलग दाखिल 50 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया है।
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के प्रेम सिंह के मामले में दिये गए फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि नियमित कर्मचारियों की भांति ही कार्य करने के बावजूद गैर नियमित सेवाकाल को स्थायी हो चुके कर्मचारियों के कुल सेवाकाल में न जोड़ना विभेदकारी है।
याचिकाओं में सरकार के उन आदेशों को चुनौती दी गई थी जिनमें पेंशन प्रदान करने के बावत निर्णय लेते समय याचियों की गैर नियमित सेवाकाल को उनकी कुल सेवा में न जोड़ते हुए उन्हें पेंशन का लाभार्थी मानने से इंकार कर दिया था।