दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भी अब जासूसी के मामले में शिकंजा कसा जाएगा। गृह मंत्रालय ने स्नूपिंग मामले में उनके खिलाफ केस चलाने को मंजूरी दे दी है। प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत सीबीआई उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
बता दें कि सिसोदिया पर फीडबैक यूनिट के जरिए जासूसी कराने का आरोप है। सीबीआई ने गृह मंत्रालय से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत कुछ अन्य अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। मनीष सिसोदिया शराब नीति को लेकर पहले से ही घिरे हुए हैं।
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दिल्ली सरकार के विजिलेंस विङाग के ही एक अधिकारी ने इस मामले में शिकायत की थी। इसके बाद सीबीआई ने प्राथमिक जांच की। 2016 में एजेंसी ने कहा था कि एफबीयू ने कई राजनीतिक व्यक्तियों की जासूसी की थी। सीबीआई का दावा था कि आठ महीने में एफबीयू ने 700 से ज्यादा लोगों की जासूसी की।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि एफबीयू बनाने के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई थी। सतर्कता विभाग बनाने के लिए तत्कालीन एलजी नजीब जंग के पास फाइल बेजी गई थी लेकिन उन्होंने रिजेक्ट कर दिया था।
सीबीआई ने कहा था कि गैरकानूनी तरीके से फीडबैक यूनिट बनाई गई और जासूसी के लिए सरकारी खजान से 36 लाख रुपये का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा भ्रष्टाचार के मामले में किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की गई। इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने राषट्र्पति को पत्र लिखा था और गृह मंत्रालय के जरिए सिसोदिया पर केस चलाने की अनुमति मांगी थी।
दिल्ली सरकार पर आरोप है कि साल 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने अफसरों की जासूसी करवाई थी इसके लिए फीडबैक यूनिट का गठन किया गया था। सीबीआई का दावा है कि जांच में ये आरोप सही पाए गए हैं इसलिए अब मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी। सीबीआई की जांच में यह भी पाया गया था कि केजरीवाल सरकार ने भाजपा नेताओं की भी जासूसी करवाई थी।