लखनऊ। भारत सरकार द्वारा साल 2030 तक मलेरिया रोग को जड़ से ख़त्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी दिशा में जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय स्थित सभागार में लैब टेकनीशियन का मलेरिया माइक्रोस्कोपी पर जिला स्तरीय प्रशिक्षण बृहस्पतिवार को आयोजित हुआ। गोदरेज संचालित स्वयं सेवी संस्था पाथ-सी.एच.आर.आई. के सहयोग से आयोजित इस प्रशिक्षण में 58 लैब टेकनीशियन प्रशिक्षित हुए।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज अग्रवाल ने बताया कि जिले के सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लैब टेकनीशियन एवं सहायकों को मलेरिया माइक्रोस्कोपी पर प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मलेरिया रोग की समय से और सही पहचान करना है ताकि मरीजों को समय रहते उचित उपचार उपलब्ध कराया जा सके।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विमल कुमार बैसवार ने बताया कि मलेरिया रोग की पहचान के लिए माइक्रोस्कोपी विधि को गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता है। इस विधि पर जिले के सभी एल.टी. को प्रशिक्षण दिया गया है।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ रितु श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशिक्षण में मुख्य रूप से मलेरिया के प्रकार, ब्लड स्लाइड से मलेरिया परजीवी की पहचान जैसी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
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उन्होंने कहा कि बुखार के रोगियों की मलेरिया जाँच आवश्यक है। स्वास्थ्य केन्द्रों पर पहुँचने वाले बुखार के रोगियों की मलेरिया जाँच ब्लड स्लाइड बनाकर माइक्रोस्कोप द्वारा और फील्ड पर आर.डी.टी. किट और ब्लड स्लाइड दोनों से की जा सकती है।
पाथ-सी.एच.आर.आई. के आई.वी.एम्. कोऑर्डिनेटर आशीष कुमार वर्मा ने बताया कि इस प्रशिक्षण से लैब टेकनीशियन का क्षमतावर्धन होगा जिससे वह और बेहतर ढंग से मलेरिया की जाँच कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि बिना समुदाय के सहयोग के मलेरिया को रोका नहीं जा सकता।
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कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है, इसलिए बुखार आने पर अपनी जाँच अवश्य करायें, मच्छर जनित बीमारियों से बचने के लिए शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहने, मच्छरदानी का उपयोग करें, मच्छर रोधी क्रीम का इस्तेमाल करें, विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मच्छर के काटने से बचाना आवश्यक है।
प्रशिक्षण में सिविल हॉस्पिटल से लैब टेक्नीशियन धीरज पाण्डेय एवं रवि कृष्ण पाण्डेय (प्रशिक्षक), एस.एल.टी. आलोक मिश्रा, लैब टेकनीशियन एवं सहायक व स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहें।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर