लखनऊ। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तत्वधान में आज “उद्यमिता एवं नवाचार: युवाओं के लिए उभरता कैरियर अवसर” विषयक सात दिवसीय कार्यशाला का प्रारंभ हुआ।
कार्यशाला में प्रो एहतेशाम अहमद (डीन एंड हेड वाणिज्य विभाग) ने उधमिता के बेहतर प्रबंधन के बारे में बताते हुए कहा कि बेहतर प्रबंधन से उद्यमी अपने उद्यम को सफल बना सकता है। कार्यशाला में मुख्य वक्ता ऋषभ मिश्रा (MSME Dept.) ने उद्यम पंजीकरण व् प्रोजेक्ट रिपोर्ट और भारत सरकार के औद्योगिक योजनाओं के बारे में चर्चा की। इसके पश्चात श्री राजीव श्रीवास्तव ने प्रोजेक्ट प्रपोजल बनाने तथा युवाओं के माइंडसेट को उधमिता के प्रति सकारात्मक सोच को आत्मसात करने का सुझाव दिया।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रोफेसर (डॉ) राजीव भटनागर (आईडीपी अहमदाबाद) ने बताया कि किसी उधमिता के शुरुआत के लिए एक व्यवस्थित एवं सुनियोजित विचार का होना जरूरी है। डॉ कमरुल हसन (सहा. आचार्य I.E.D. लखनऊ) ने उद्यमिता को परिभाषित करते हुए बताया कि जो व्यक्ति अनिश्चित जोखिम लेने वाला हो उसे उद्यमी कहते है, अपने आसपास के क्षेत्र के संभावित अनिश्चितता को पहचान कर उद्यम की शुरुआत कर सकते हैं।
डॉ नीरज शुक्ल (कार्यशाला समन्वयक) ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी आपकी पीढ़ी शिक्षा प्राप्त कर नौकरी करने वाली नहीं बल्कि नौकरी पैदा करने वाली बने। कार्यशाला में लखनऊ समेत कई अन्य राज्यों के ऑनलाइन ऑफलाइन मिलाकर कुल लगभग 580 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
कार्यशाला का संचालन डॉ जैबुन निसा (कार्यशाला सचिव) ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो एहतेशाम अहमद ने दीया।
कार्यशाला में डॉ सैय्यद हैदर अली(निर्देशक IQAC), डॉ दुआ नकवी (सहा. आचार्य), डॉ मनीष कुमार(सहा. आचार्य) डॉ० आशीष आर्य, डॉ मृदुल सोनी, अनुभव तिवारी, मरिया बिन्थ सिराज, शिवम् चतुर्वेदी, शादाब सुहैल, सर्वेश कुमार, आतिफ, मो आसिफ अंसारी। कार्यशाला में वालेंटियर के रूप में बी.कॉम के छात्र दीपांशु, ईशा, महज़बी, व सोनल आदि मौजूद रहे।