इंदौर में शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब ईसाई समाज के एक फादर का हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार हुआ। श्मशान में बाइबल की प्रार्थना और गीता के श्लोक एक साथ सुनाई दिए। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एकता और अखंडता की अनूठी मिसाल पेश की गई है।
यह सब कुछ हुआ शहर के फादर वर्गीस आलेंगाडन के अंतिम संस्कार में जिनका 71 साल की उम्र में रविवार को निधन हो गया। फादर वर्गीस की इच्छा थी कि उन्हें दफनाया नहीं जाए बल्कि हिंदू रीति-रिवाज के हिसाब से अंतिम संस्कार किया जाए। जिसके बाद दो दिन तक इंदौर के रेड चर्च में उन्हें अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। मंगलवार शाम 5 बजे रामबाग मुक्तिधाम में विद्युत शव दाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान क्रिश्चियन और हिंदू समाज के कई लोग रामबाग मुक्तिधाम में एकत्रित थे।
एक व्यक्ति द्वारा बताया गया कि फादर वर्गीस द्वारा सभी समाज को एक नजर से ही देखा जाता था। फादर इस बात को जानते थे कि मनुष्य की मुक्ति का सबसे अच्छा मार्ग अग्नि से मुक्ति ही होता है। इस कारण से उन्होंने मुक्ति का यही मार्ग अपनाया। उन्होंने कहा कि अग्नि, क्रमी और विस्टा यह मोक्ष के 3 तरीके हैं। जिसमें फादर वर्गीस ने अग्नि को चुना था और उनकी अंतिम इच्छा भी यही थी।
मौके पर मौजूद फादर सामू सागर द्वारा यह बताया गया कि वह अपनी अंतिम इच्छा के रूप में यह लिखकर गए थे कि उन्हें दफनाया नहीं जाए, बल्कि हिंदू रीति-रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया जाए। अंतिम समय में फादर वर्गीस को बाइबल की प्रेयर के साथ-साथ गीता के श्लोक भी सुनाए गए।