अतीक अहमद 17 साल पुराने मामले में दोषी पाया गया। मंगलवार को प्रयागराज की कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है। खास बात है कि 43 सालों में पहली बार अहमद किसी मामले में दोषी पाया गया है।
अब माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति पर इसका गहरा असर हो सकता है। फिलहाल, उसे वापस गुजरात के साबरमती जेल ले जाया जा रहा है।
प्रयागराज की कोर्ट ने 17 साल पुराने अपहरण के मामले में तीन लोगों को दोषी ठहराया। अहमद के अलावा इनमें हनीफ और दिनेश पासी का नाम भी शामिल है। कोर्ट की तरफ से 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। खास बात है कि मामले में 7 लोगों को बरी भी किया गया है। 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की हत्या के बाद 17 साल पुराना केस फिर चर्चा में आ गया था।
कहा जा रहा है कि राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अहमद को दोषी ठहराए जाने को योगी आदित्यनाथ सरकार की उपलब्धि के रूप में पेश कर सकती है। यह इस तरह दिखाया जा सकता है कि जो राज्य में 43 सालों से नहीं हुआ, वह अब हो रहा है। एक
यूपी में भाजपा नेता सपा के शासन का जिक्र कर रहे हैं। इसके जरिए वह दिखा रहे हैं कि कैसे सपा सरकार में माफिया के केस वापस ले लिए जाते थे और सपा नेता अतीक के साथ मंच साझा करते थे। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि एक समय था, जब दर्जनों न्यायाधीशों ने अपने आप को अतीक के खिलाफ मामलों में सुनवाई से दूर कर लिया था।
अहमद के खिलाफ 43 साल पहले आपराधिक मामला दर्ज हुआ था और 2023 में पहली बार किसी केस में दोषी पाया गया। हालांकि, योगी सरकार में उसे जेल भेजा गया। खास बात है कि फरवरी में हुई उमेश पाल की हत्या मामले में अहमद की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। उस दौरान वह गुजरात की जेल में बंद था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सजा मिसाल कायम करेगी, क्योंकि 2017 से पहले समाजवादी पार्टी के शासन में अहमद खुला घूमता था। यूपी भाजपा के एक नेता ने बताया, ‘इससे आम आदमी को पता लगेगा कि अतीक के घर से पहले ही कानून की राह खत्म हो जाती है। जिस इलाके में उसका राज था, वहां पुलिस और कानून का जाना मना था। लेकिन पहली बार सरकार और कानून का डर अतीक के चेहरे पर दिखा।’