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विधि विश्वविद्यालय में शिक्षकों का धरना, छात्रों ने भी दिया अपने गुरुजनों का साथ

लखनऊ। राजधानी स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ में आज सभी शिक्षकों ने लोहिया चौक पर धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया। धरना प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने प्रमोशन का लिफाफा एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग बुलाकर तुरंत खोलने की बात रखी। इसके अतरिक्त शिक्षकों के स्थायीकरण का पत्र शिक्षकों को तुरंत सुलभ कराने की मांग रखी।

विधि विश्वविद्यालय

शिक्षकों का कहना है कि जब तक यह दोनों मांगे पूरी नहीं हो जाती है तब तक कोई भी शिक्षक ना तो कोई प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन लेगा, ना ही कोई वाइवा इत्यादि होगा, ना ही परीक्षा का प्रश्न पत्र बना कर देगा, और ना ही परीक्षा के संचालन में किसी भी प्रकार का सहयोग करेगा।

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शिक्षकों का कहना है कि कार्य परिषद् की बैठक हो या 2013 के शासनादेश के तहत पदों के स्थाईकरण, दोनो ही प्रक्रियाएं किसी भी विश्व विद्यालय प्रशासन के आमतौर पर होने वाली प्रक्रिया है, जिसे लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने तिल का ताड़ बना दिया है। अतः मांगे पूरी हो जाने के बाद ही विश्वविद्यालय सुचारू रूप से चल पाएगा। आए दिन अपने शिक्षकों को मानसिक प्रताड़ना दे लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ शिक्षकों की सेवाओं को नजरंदाज कर, उनकी भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है।

विधि विश्वविद्यालय

शिक्षकों का मनोबल गिराना ही विश्व विद्यालय प्रशासन का लक्ष्य बन गया है। शिक्षकों का कहना है, जब तक ये मांगे पूरी नहीं हो जाती, तब तक वे अपने कार्यालय में अपना शोध इत्यादि करते रहेंगे और विश्वविद्यालय आते रहेंगे।

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बताते चलें कि विश्व विद्यालय के वित्त अधिकार ने शिक्षकों को मार्च माह का वेतन भी अभी तक निर्गत नहीं किया है। विश्व विद्यालय में अशांति और अरजकता को देखते हुए कुछ छात्र गुटों ने भी अपनी समस्याएं रखते हुए शिक्षकों के मुद्दों से सरोकार दिखाया और सामने आने वाली चारों तरफ अराजकता के माहौल पर चर्चा की। कुछ छात्रों ने शोध और अनुसंधान समक्ष आ रही “प्लेजरिजम्म सॉफ्टवेयर” और पुस्तकालय संबंधी भी समस्याएं उठाई।

प्रदर्शन कर रहे विधि विश्वविद्यालय के शिक्षकों के समक्ष कुलसचिव प्रस्तुत हुए जहां शिक्षकों ने उनसे प्रश्नोत्तरी श्रृंखला संवाद किया। प्रर्दशन के दौरान राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने निम्न प्रश्न पूछे, जिसका ऑडियो वीडियो रिकॉर्ड तैयार किया गया।

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पहला प्रश्न – विश्वविद्यालय में एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्यों के मनोनीत किए जाने के विषय में शिक्षा मंत्री और प्रमुख सचिव शिक्षा से कितनी बार संपर्क किया गया और उनके द्वारा क्या उत्तर दिया गया ?

दूसरा प्रश्न- विश्वविद्यालय में विगत कितने वर्षों से एग्जीक्यूटिव काउंसिल नहीं हुई है और इसका क्या कारण है ?

तीसरा प्रश्न- विगत 10 वर्षों में शिक्षकों के स्थायीकरण के लिए कुलपति और कुलसचिव द्वारा कितनी बार प्रयास किया गया और उसका क्या परिणाम निकला ?

चौथा प्रश्न- शिक्षकों के स्थायीकरण के मुद्दे को शासन में जाकर लगातार प्रयास क्यों नहीं किया गया ?

पांचवा प्रश्न- विश्वविद्यालय में एक हफ्ते हो गए अभी तक मार्च महीने की सैलरी क्यों नहीं निर्गत हुई ?

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छठवां प्रश्न- मार्च महीने की सैलरी के पेमेंट में आने वाली असुविधा को वित्त अधिकारी द्वारा समय रहते क्यों नहीं सूचित किया गया ?

सातवां प्रश्न- विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव द्वारा शिक्षकों का वेतन रोके जाने का पत्र बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी से अनुमोदन कराए बगैर शिक्षकों को सीधे क्यों प्रेषित किया गया ?

आठवां प्रश्न- इस मामले में सहायक कुलसचिव के विरुद्ध क्या दंडात्मक कार्यवाही हुई … यदि नहीं हुई तो कारण… क्या दंडात्मक कार्यवाही पर्याप्त और उचित रूप से की गई या मामले को लीपने लपेटने का प्रयास किया गया ?

नौवां प्रश्न- शिक्षकों को धरने पर क्यों बैठना पड़ा? किन अधिकारियों की लापरवाही इस मामले में सुनिश्चित की जानी चाहिए?

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बड़ी ही संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए कुलसचिव अनिल मिश्र ने कहा कि उन्हे कुलपति प्रो सुबीर भटनागर द्वारा स्थाईकरण और एक्जीक्यूटिव कौंसिल की बैठक कराने हेतु शासन से संवाद करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं और अब इस धरना प्रदर्शन के बाद इससे संबंधित शासन से संवाद में तेजी लाई गई है। विश्वविद्यालय जल्द ही इन दोनो प्रक्रिया को पूरी कर लेगा।

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हालांकि शिक्षकों ने कहा कि जब तक उनकी प्रमुख मांगे पूरी नहीं हो जाती, तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। शिक्षक विश्व विद्यालय में अप्रैल में होने वाली वार्षिक परीक्षाओं में सहयोग नहीं करेगें। बता दें कि पूरे धरना प्रदर्शन के दौरान कुलपति प्रो सुबीर भटनागर विश्व विद्यालय के अपने कार्यालय से नदारत रहे। वे शिक्षकों से नहीं मिले।

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