कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए सियासी पारा चढ़ ही रहा है कि कांग्रेस ने भाजपा को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को कलबुर्गी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को जहरीले सांप जैसा बताया और कहा कि चखने वाला मर सकता है।
खड़गे के इस बयान को भाजपा ने हाथोंहाथ लिया है और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। साफ है कि भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाएगी और सीधे मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना खड़गे ब्रिगेड के लिए भारी पड़ सकता है। मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए अपने ही गृह राज्य में अब खुद का या फिर पार्टी का बचाव कर पाना आसान नहीं होगा।
यही नहीं कांग्रेस ने ऐसी ही गलती 2014 के आम चुनाव से पहले भी की थी। मौका था कांग्रेस कार्य समिति की बैठक का। इस दौरान मणिशंकर अय्यर से नरेंद्र मोदी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनका यहां क्या काम है। हां, चाय बेचना चाहें तो आ सकते हैं। यह चायवाला कॉमेंट कांग्रेस पर इतना भारी पड़ा था कि पीएम मोदी ने अपनी चाय वाला इमेज को ही आगे रखा। यही नहीं चुनाव कैंपेन की एक थीम ही थी, चाय पर चर्चा। इस तरह कांग्रेस के हमले के जवाब में देश में गली-गली चाय पर चर्चा का आयोजन हुआ और भाजपा ने उसे अपने पक्ष में कर लिया।
मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी ने कांग्रेस की 2007 से ही चली आ रही उस कमजोरी को फिर उजागर कर दिया है, जिसमें वे मोदी पर हमला करके फंसते रहे हैं। इसकी शुरुआत 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव से मानी जाती है। तब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ बता दिया था। फिर क्या था? पूरा चुनाव ही कांग्रेस लीडरशिप बनाम नरेंद्र मोदी में तब्दील हो गया था। खुद पर किए हमलों के भुनाने की कला में माहिर नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी पर जमकर हमला बोला और पोलराइजेशन भी हुआ। नतीजे के तौर पर 117 विधानसभा सीटें जीतकर भाजपा ने फिर से सरकार बना ली, जबकि कांग्रेस 59 पर ही अटक गई।