• कुष्ठ रोगियों को स्वरक्षा चिकित्सा, लक्षण व बचाव के बारे में बताया
• 26 दिव्यांग कुष्ठ मरीजों को मिली एमसीआर चप्पल व सेल्फ केयर किट
कानपुर नगर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिधनू में सोमवार को कुष्ठ रोगियों के उपचार के लिए स्वरक्षा चिकित्सा शिविर आयोजित किया गया। यह आयोजन स्वास्थ्य विभाग जिला कुष्ठ निवारण विभाग के तत्वावधान में हुआ।
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शिविर में पीड़ित मरीजों को कुष्ठ रोग का उपचार करने संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। इस मौके पर 26 मरीजों को कुष्ठ रोगियों के बीच सेल्फ केयर किट वितरित की गई। शिविर में आए स्टेट प्रशिक्षक व जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी ने लोगों को कुष्ठ रोग के लक्षण व बचाव से संबंधित जानकारी दी। जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ संजय यादव ने कहा कि वैसे व्यक्ति जिनके शरीर में दाग, धब्बा व सून्न हो, कुष्ठ रोग के संभावित मरीज हो सकते हैं।
उन्होंने क्षेत्र के सहिया साथी व एएनएम से वैसे रोगियों को चिन्हित कर पीएचसी या सीएचसी में इलाज करवाने की सलाह दी। इससे कुष्ठ रोग समयानुसार ठीक हो सके। उन्होंने बताया कि इस शिविर का मुख्य उद्देश्य कुष्ठ रोगियों को अपना उपचार स्वयं करने को प्रेरित करना है।
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फ़िज़ियोथेरेपिस्ट पूजा शर्मा ने पैरों में कुष्ठ रोग से पीड़ित मरीजों को नंगे पांव जमीन पर न चलने व विकलांग अंगों को सक्रिय रखने का सुझाव दिया। इस मौके पर नए कुष्ठ रोग पीडि़त मरीजों का पंजीकरण किया गया तथा प्रभावित मरीजों को अपना उपचार करने को निश्शुल्क उपकरण वितरित किए गए। शिविर में एनएलआर संस्था के मंतोष महतो सहित एनएमए पारस नाथ शर्मा, आदित्य मिश्रा व अन्य लोग मौजूद रहे।
प्रारंभिक अवस्था में उपचार रोकता दिव्यांगता
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा महेश कुमार का कहना है कि रोग की शीघ्र पहचान, पर्याप्त उपचार और पूरा कोर्स (दवा की अवधि) कुष्ठ रोग के कारण होने वाली दिव्यांगता रोकती है। कुष्ठ रोग दीर्घकालिक संक्रामक रोग है, जो कि बेसिलस, माइकोबैक्टेरियम लेप्री के कारण होता है। प्रारंभिक अवस्था में उपचार कराने से दिव्यांगता नहीं होती है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर