कर्नाटक में शानदार जीत के बाद कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों में भी एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में सभी नेताओं को एक मंच पर लाकर चुनाव लड़ने की नसीहत दे रही है।
हालांकि, ये प्रयास कितने सफल होते हैं, यह आने वाला समय ही बताण्गा। क्योंकि, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी नेता इस चुनावी एकजुटता को वर्ष 2018 के पैमाने पर तोल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद है। पार्टी इसे ध्यान में रखकर चुनाव की रणनीति बना रही है। मगर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने बुधवार को यह कहकर पार्टी पर दबाव बढ़ा दिया कि कई दलों ने उनसे संपर्क किया है। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ने की बात भी दोहराई है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व जल्द मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सिंहदेव को बैठाकर विवाद को हल करने की तैयारी कर रहा है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेदों को दूर करने के प्रयास जारी हैं। पार्टी कोई ऐसा फॉर्मूला तलाशना चाहती है, जो दोनों पक्षों को मंजूर हो। मगर, पार्टी की मुश्किल यह है कि सिंहदेव और पायलट दोनों वर्ष 2018 के चुनाव के बाद किए गए वादों को पूरा नहीं करने की बात करते रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दोनों नेता सुलह फॉर्मूले की सार्वजनिक घोषणा चाहते हैं।
कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से काफी उम्मीद है। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दूसरे नेताओं के बीच ज्यादा मतभेद नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के साथ हैं। प्रदेश कांग्रेस के दूसरे नेताओं की तरफ से भी कोई खास चुनौती नहीं है। ऐसे में कमलनाथ के लिए रणनीति बनाने और उसे लागू करने में कोई मुश्किल नहीं है।