• सीएमओ के अथक प्रयासों से दिल में छेद की होगी निःशुल्क सर्जरी
• आपके बच्चे के दिल में छेद है तो घबराएं नहीं, आरबीएसके के तहत बच्चों की हो रही निशुल्क हार्ट सर्जरी
औरैया। सहार ब्लॉक के पूर्वां जैन के रहने वाले एक दंपत्ति की चार माह की मासूम बेटी कशिश जब पैदा हुई तब पता चला की उसके दिल में छेद है। सर्जरी का खर्चा सुनकर तो जैसे उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गयी। इसका खर्च उठाना उनके लिये नामुमकिन था। फिर जनपद की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम द्वारा यह बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ सुनील कुमार वर्मा के संज्ञान में लायी गयी। सीएमओ ने तत्काल टीम को कशिश की निशुल्क सर्जरी के लिए हरयाणा स्थित सत्य साईं संजीवनी चिल्ड्रन हार्ट हॉस्पिटल, पलवल भेजने को निर्देशित किया गया है। इसी महीने के अंत तक बिना किसी खर्चे के कशिश को हार्ट सर्जरी के लिए पलवल ले जाया जाएगा।
सीएमओ ने बताया की विभाग के स्तर से कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद हरयाणा स्थित सत्य साईं संजीवनी चिल्ड्रन हार्ट हॉस्पिटल, पलवल में कशिश को भेजा जायेगा । उन्होंने बताया की इस कार्य में आरबीएसके की पूरी टीम ने विशेष सहयोग और मार्गदर्शन किया। उनका कहना है की जन्मजात दोषों में जन्मजात हृदय रोग हृदय का एक गंभीर जन्मजात दोष है। सामान्यतः इसके उपचार में चार से पाँच लाख रुपये का खर्च लगता है, जो कि आरबीएसके योजना केअंतर्गत निःशुल्क किया जाता है। आरबीएसके के अंतर्गत जनपद में ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत हैं जो प्रत्येक गाँव में विजिट कर जन्मजात दोषों की पहचान करती हैं एवं उनके उपचार के लिए प्रयासकरती है।
आरबीएसके के नोडल व जिला कार्यक्रम प्रबंधक अनीश अहमद अंसारी ने बताया कि जन्मजात हृदय रोग में प्रायः बच्चों में सबसे सामान्य लक्षण हाथ, पैर,जीभ का नीला पड़ जाना, ठीक तरह से सांस न ले पाना और माँ का दूध ठीक तरह से नहीं पी पाना एवं खेल-कूद में जल्दी थक जाना दिखते हैं। वह बताते है कि इस जन्मजात दोषों से बच्चों को बचाने के लिए गर्भावस्था के दौरान बेहद ध्यान देना चाहिए. गर्भावस्था के चौथे माह की शुरुआत से प्रतिदिन प्रसव तक आयरन फोलिक एसिड की गोली खिलाई जानी चाहिए। इसके साथ ही स्वस्थ व संगुलित खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिए।
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जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक अजय पांडेय का कहना है की आरबीएसके टीम के चिकित्सक द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान कशिश की शारीरिक कमजोरी का पता लगाया गया, जिसमें जांच के उपरांत दिल में छेद होना पाया गया। टीम द्वारा कशिश का पंजीकरण कर जांच करवाई गयी। जहां उसके पूर्ण उपचार की औपचारिकता पूर्ण कर हार्ट सर्जरी के लिए सूचीबद्ध किया गया। उन्होंने बताया की जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों, मदरसों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजिकृत जन्म से 18 वर्ष तक की उम्र के रोग ग्रसित बच्चों का जन्मजात विकृतियों समेत 38 तरह की बीमारियों में निषुल्क उपचार करवाया जा रहा है।
जानकारी के अभाव में रहते है वंचित
सीएमओ के अनुसार बच्चों के शरीर के भीतरी हिस्से में किसी अंग के अल्प विकसित होने से उसकी शारीरिक वृद्धि रुक जाती है। वे बताते है कि अधिकांश मामलो में ऐसी बीमारियां अभिभावकों को ज्ञात नहीं होती है। वही गांवाे में ग्रामीण लोग झाड़-फूंक या भोपों के पास चले जाते हैं, जिससे समय पर निदान नहीं होने के कारण ऐसी विकृति और भी जटिल हो जाती हैं। वही उपचार व सरकारी योजनाओं की जानकारी नही होने व ज्यादा बजट के अभाव में समय पर उपचार नहीं पाता है और बच्चों की जिंदगी हमेशा के लिए विकट हो जाती है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर