जी-20 शिखर सम्मेलन में अब एक हफ्ते से भी कम का समय बचा है। सात सितंबर को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भारत आएंगे। आठ सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक प्रस्तावित है। इसके साथ दुनिया के कई बड़े नेता नई दिल्ली आ रहे हैं। अवसर और समय देखकर प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी और देश की घरेलू राजनीति को बड़ा संदेश दे दिया है। प्रधानमंत्री का यह संदेश जी-20 में भारत के रणनीति की तरफ संकेत कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत जम्मू-कश्मीर हो या अरुणाचल कहीं भी जी-20 की बैठक कर सकता है। ऐसा कहकर पीएम मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।
विदेश तक ऐसा पहुंचा पीएम मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री का यह वाक्य काफी महत्वपूर्ण है। कश्मीर का जिक्र करके प्रधानमंत्री ने जहां पाकिस्तान को संदेश दिया है, वहीं अरुणाचल को लेकर नया नक्शा जारी करने वाले चीन को भारत की संप्रभुता के बारे में बताया है। चीन के साथ लद्दाख में गतिरोध बना हुआ है। गौरतलब है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने को लेकर चीन ने कोई साफ संकेत नहीं दिया है। संभावना यही है कि शी जिनपिंग के प्रतिनिधि के तौर पर प्रधानमंत्री ली छ्यांग अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
ऐसे दिया घरेलू राजनीति में संकेत
लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध को लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। अपने इस बयान के जरिए प्रधानमंत्री ने देश की घरेलू राजनीति को भी संदेश देने की कोशिश की है। उनके संदेश से साफ है कि भारत अपने पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान दोनों की गैर जरूरी नाराजगी की कोई परवाह नहीं करता। देश की एकता, अखंड़ता और इसकी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। भारत न तो दबता है, न झुकता है। अपने रास्ते पर चलता रहता है। उन्होंने इसी प्रतिबद्धता के साथ जी-20 का नारा वसुधैव कुटुम्बकम् पर भी अपना पक्ष रखा।