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कुपोषण मुक्ति को गांव-गांव लगी पोषण पाठशाला, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर हुआ मंथन

      • वेबकास्ट के माध्यम से ऑनलाइन जुड़ी करीब 25 हजार महिलायें
कानपुर बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ऑनलाइन पोषण पाठशाला में सोमवार को जिले की करीब 25 हजार महिलाओं ने हिस्सा लिया। कलेक्ट्रेट स्थित एनआइसी से जिला कार्यक्रम अधिकारी, बाल विकास अधिकारियों के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मुख्य सेविका, लाभार्थी, धात्री महिलाओं को वर्चुअल जोड़ा गया। कार्यक्रम में सचिव बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार भी वर्चुअल जुड़े। विशेषज्ञों ने लोगों के सवालों का जवाब देकर भ्रांतियों को दूर किया। कार्यक्रम की थीम “कुपोषण का प्रकार, कारण एवं 06 माह से छोटे शिशु के लिये पोषण सेवायें“ के बारे में विशेषज्ञों की ओर से ऑनलाइन जानकारी दी गई।

कुपोषण मुक्ति को गांव-गांव लगी पोषण पाठशाला, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर हुआ मंथन

जिला कार्यक्रम अधिकारी, दुर्गेश प्रताप सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जनमानस एवं लाभार्थियों को विभागीय स्तर से दी जाने वाली सेवाओं, पोषण प्रबन्धक, कुपोषण, कुपोषण से बचने के उपाय समेत तमाम मुद्दों पर जागरूक करने के लिये पोषण पाठशाला का आयोजन दोपहर 12 से 02 बजे के मध्य किया गया । आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने स्मार्टफोन से वेब लिंक के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़ीं । उन्होंने बताया की इस पोषण पाठशाला में विभागीय अधिकारियों के अतिरिक्त विशेषज्ञों ने विस्तार से चर्चा की तथा वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से लाभार्थियों व अन्य की ओर से पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भी दिया।
उन्होंने बताया कि बच्चों के विकास का सीधा संबंध उनके आहार से होता है। सुपोषित बचपन के लिए छह माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत सबसे महत्वपूर्ण है। परिवार के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जानकारी का अभाव, समय का अभाव प्रचलित मान्यताएं कई ऐसे कारण हैं। इस वजह से बच्चे संपूर्ण पोषण से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चों  की ग्रोथ बहुत कम होती है। कुपोषित बच्चों में खानपान, देखभाल, विभागीय सेवाओं के साथ पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचाव के उपायों आदि पर भी पोषण पाठशाला में चर्चा हुई। पाठशाला में विशेषज्ञों ने विशेष रूप से बताया कि बच्चा यदि बीमार है तो भी उसका स्तनपान व ऊपरी आहार बंद न करें।

रिपोर्ट – शिव प्रताप सिंह सेंगर

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