नई दिल्ली। सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। शनिवार को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके साथ ही सरकारी नौकरियों और शैक्षाणिक संस्थानों में दस फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। बताया जा रहा है कि एक हफ्ते के अंदर दस फीसदी आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय एक हफ्ते के भीतर इस कानून से जुड़े प्रावधानों को अंतिम रुप देगा।
कमजोर तबके की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान
संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम के जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किया गया है। इसके जरिए एक प्रावधान जोड़ा गया है जो राज्य को नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर किसी तबके की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति देता है। यह ‘‘विशेष प्रावधान’’ निजी शैक्षणिक संस्थानों सहित शिक्षण संस्थानों, चाहे सरकार द्वारा सहायता प्राप्त हो या न हो उनके दाखिले से जुड़ा है। हालांकि यह प्रावधान अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह आरक्षण मौजूदा आरक्षणों के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में कुल सीटों की अधिकतम 10 फीसदी सीटों पर निर्भर होगा। इससे जुड़ा विधेयक नौ जनवरी को संसद से पारित किया गया था।
मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में
अधिसूचना के मुताबिक इस अनुच्छेद और अनुच्छेद 16 के उद्देश्यों के लिए ‘आर्थिक रूप से कमजोर तबके’ वे होंगे, जिन्हें सरकार समय-समय पर पारिवारिक आय और प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के अन्य मानकों के आधार पर अधिसूचित करेगी। अनुच्छेद 16 के संशोधन में कहा गया,इस अनुच्छेद में कोई भी चीज राज्य को धारा (4) में शामिल वर्गों के अलावा नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए कोई प्रावधान करने से नहीं रोकेगा। यह मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में अधिकतम 10 फीसदी पदों पर निर्भर करेगा।