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राष्ट्रीय पुरस्कार जीत ‘फौजा’ अभिनेता ने साझा किए अपने अनुभव, पुरस्कार को बताया पीठ पर थपथपी

70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में हरियाणवी फिल्म ‘फौजा’ ने भी पुरस्कार अपने नाम कर लिया है। अभिनेता पवन मल्होत्रा को इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मिला है। वह खुद को भारतीय सेना का कट्टर प्रशंसक बताते हैं।

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पुरस्कार पाकर रोमांचित हैं अभिनेता

अभिनेता पवन कहते हैं, ‘सेना पर आधारित फिल्म के लिए पुरस्कार पाकर मैं रोमांचित हूं।’ अभिनेता ने कहा, ‘मेरे लिए वर्दी हीरो है और मैं किसी को भी इसका अपमान करने की इजाजत नहीं देता। इसलिए, फौज की प्रशंसा करने वाली फिल्म में भूमिका निभाना मेरे लिए गर्व की बात है और इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना, उस गर्व को दोगुना कर देता है। बता दें कि फौजा हरियाणा के एक ऐसे परिवार पर आधारित है, जिसके परिवार से लोग सेना में लंबे समय से सेवा देते आए हैं।

पुरस्कार को बताया पीठ पर थपथपी

अभिनेता पवन को इससे पहले भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। साल 1998 में हिंदी फिल्म ‘फकीर’ के लिए उन्हें पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। अभिनेता के अनुसार राष्ट्रीय पुरस्कार बहुत बड़ा होता है और यह पीठ पर थाप की तरह होता है। यह बताता है कि आपके काम को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है। अभिनेता ने कहा, पिछली बार जब मैं पुरस्कार लेने गया था, तो मैं सोचता रहा कि मैं राष्ट्रपति का अभिवादन कैसे करूंगा। जब मैं मंच पर पहुंचा और राष्ट्रपति के पीछे सेना के अधिकारी को देखा, तो मेरे मुंह से खुद ही ‘जय हिंद’ निकल गया।

भारतीय सेना को बताया सबसे बहादूर

अभिनेता पवन मल्होत्रा ने ‘सलीम लंगड़े पे मत रो’ ‘बाघ बहादुर’, ‘चिल्ड्रन ऑफ वॉर’ जैसी कई फिल्में की हैं। इसके अलावा उन्होंने ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘जब वी मेट’, ‘मुबारकां’ जैसी हिट फिल्में भी की हैं। पवन भारतीय सेना को विश्व की सबसे बहादुर सेना कहते हैं।

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