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टीएमयू में एयरवे सिक्योर की न्यू टेक्नोलॉजीज़ का हैंड्स ऑन

मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के एनेस्थीसिया एंड एनाटॉमी विभागों की ओर से कैडवरिक एयरवे पर हुई नेशनल वर्कशॉप में मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया, एनाटॉमी, ईएनटी, डेंटल के पीजी स्टुडेंट्स ने एयरवे सिक्योर की न्यू टेक्नोलॉजीज़ का हैंड्स ऑन सघन प्रशिक्षण चला। करीब नौ घंटे तक चली सीएमई में आबूधाबी, यूपी, दिल्ली, उत्तराखंड, बिहार से आए जाने-माने एनेस्थीसिया के विशेषज्ञों ने विस्तार से एयरवे सिक्योर तकनीक पर हैड्स ऑन वर्कशॉप एंड रीसेंट गाइडलाइंस बताईं।

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टीएमयू में एयरवे सिक्योर की न्यू टेक्नोलॉजीज़ का हैंड्स ऑन

इन एक्सपर्ट्स ने एयरवे सिक्योर के नए विकल्पों को न केवल पीपीटी के जरिए साझा किया, बल्कि टीएमयू मेडिकल कॉलेज के एमडी स्टुडेंट्स को प्रैक्टिकली करावाया। सीएमई के दौरान सवाल-जवाब का दौर भी चला। उल्लेखनीय है, मौजूदा वक्त में इन तकनीकें का उपयोग कैंसर पीड़ितों के ट्रीटमेंट में किया जाता है। इससे पूर्व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके वंदना के साथ न्यू एलटी में कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।

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इस मौके पर अतिथियों में आबूधाबी के लाइफ केयर हॉस्पिटल से डॉ पुलक पुनीत, ग्राफिक ऐरा यूनिवर्सिटी, देहरादून से डॉ जीएस झीते, एएमयू, अलीगढ़ के डॉ सईद मुईद, सिनर्जी हॉस्पिटल, देहरादून से डॉ सुधीर कुमार, एसएसजीआईएमएस एंड आरसी, अल्मोड़ा से डॉ ऊर्मिला पलारिया, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर के डॉ संतोष कुमार शर्मा के अलावा टीएमयू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एनके सिंह, मेडिकल कॉलेज के डीन एकेडमिक्स डॉ एसके जैन, एन्सथीसिया के एचओडी डॉ मुकेश कुमार प्रसाद, सीनियर रेडियोलॉजिस्ट प्रो राजुल रस्तोगी, वर्कशॉप के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ शहबाज आलम, साइंटिफिक सेक्रेटरी डॉ पायल जैन आदि मौजूद रहे।

टीएमयू में एयरवे सिक्योर की न्यू टेक्नोलॉजीज़ का हैंड्स ऑन

इस अवसर पर सभी अतिथियों का पौधे देकर स्वागत किया गया। अंत में स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। वर्कशॉप के अंत में सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट्स दिए गए। कार्यक्रम में वक्ताओं ओर प्रतिभागियों ने कैडवरिक ऑथ भी ली। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के संग हुआ। वर्कशॉप में सरस्वती मेडिकल कॉलेज, हापुड़, रामा मेडिकल कॉलेज, पिलखुवा, एसआरएमएस, बरेली, एचआईएमएस, देहरादून, ग्राफिक ऐरा यूनिवर्सिटी, देहरादून, सुभारती यूनिवर्सिटी, मेरठ, लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज, मेरठा बिम्स, गजरौला के एमडी स्टुडेंट्स ने प्रतिभाग किया। संचालन डॉ ईशानिका मदान और डॉ त्राप्ति सिंह ने किया।

कैडवरिक एयरवे वर्कशॉप में आबूधाबी के लाइफ केयर हॉस्पिटल के डॉ पुलक पुनीत ने बतौर गेस्ट स्पीकर कहा, ट्रेकीयोस्टमी एक डेफनेटिव एयरवे है। जो पेशेंट लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहते हो या न्यूरो मस्कुलर डिस्ऑर्डर पेशेंट के लिए यह कारगर होता है। ट्रेकीयोस्टमी की मदद से पेशेंट को सांस लेने में सुविधा होती है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से डॉ संतोष कुमार शर्मा अल्ट्रासाउंड पर बोले, अल्ट्रासाउंड की मदद से हमारी इंट्यूबेशन में आसानी होती है। हम पेशेंट के एयरवे एनाटॉमी के बारे में जान सकते हैं और उसे आसानी से सिक्योर कर सकते हैं। जिन मुश्किलों का सामना एयरवे करने में होता है अल्ट्रासाउंड की मदद से उसमें आसानी हो जाती है।

टीएमयू में एयरवे सिक्योर की न्यू टेक्नोलॉजीज़ का हैंड्स ऑन

एम्स, पटना के डॉ अजीत कुमार बोले, ओएमएफएस सर्जरीज़ में सबमेंटल इंट्यूबेशन बेहद ही कारगर होती है। इस प्रकिया में गले के पास एक ट्यूब के जरिए सांस का रास्ता बना देते हैं, जिससे ओएमएफएस सर्जरीज़ आसानी होती है। एम्स, दिल्ली से डॉ सौरभ विज़ ने रेट्रोग्रेड इंट्यूबेशन पर बोलते हुए कहा, रेट्रोग्रेड इंट्यूबेशन से एयरवे इंजरी होने का ख़तरा कम हो जाता है। इसमें एक गाइड वायर को गले के रास्ते मुंह या नाक से निकाल कर उसके उपर इंडोट्रेकियल ट्यूब को सांस नली में आसानी से फिट कर दिया जाता है। यह सुलभ ओर कम टाइम की तकनीक है।

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जीआईएमएस, नोएडा से डॉ नाजिया नज़र ने सर्जिकल क्रिकोथॉयरोटॉमी के बारे में बताते हुए कहा, जब तक डेफनेटिव एयरवे को सिक्योर नहीं कर पाते हैं तब तक यह पेशेंट को सांस देने का एक टेंपरेरी तरीका है। इस विधि में गले में निडिल सें पंचर करके ऑक्सीजन की सप्लाई कर देते हैं। एएमयू, अलीगढ़ के डॉ सईद मुइद एयरवे की प्रक्रिया को स्टेप वाय स्टेप समझाया। डिफिकल्ट एयरवे एल्गोरिदम पर बोले, यदि एयर वे में कोई प्रक्रिया काम नहीं करती हैं तो दूसरी प्रकिया अपनानी होगी। यह भी कारगर नहीं हो रही तो अन्य प्रक्रिया को अपनाना ही डिफिकल्ट एयरवे एल्गोरिदम कहलाता है।

टीएमयू में एयरवे सिक्योर की न्यू टेक्नोलॉजीज़ का हैंड्स ऑन

प्रो राजुल रस्तोगी ने रेडियोलॉजिकल एप्लीकेशन इन एयरवे पर बोलते हुए एक्स रे, सीटी स्कैन और एमआरआई से डिफिकल्ट एयरवे को सिक्योर करने में मददगार बताया। उन्होंने अल्ट्रासाउंड की मदद से एयरवे सिक्योर करने, उसके स्ट्रक्चर को समझने, एयरवे को आसानी से इंट्यूबेशन में डेमो भी दिया। इससे पूर्व टीएमयू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एनके सिंह ने वर्कशॉप में शामिल होने वाले स्टुडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा, किताबों में हम सिर्फ पढ़ते है, लेकिन आज आप लोगों को सीखने का मौका है। अतः आपको यह सब सीखना चाहिए। मेडिकल स्टुडेंट्स के लिए यह सब तकनीक का ज्ञान होना जरूरी है।

डीन एकेडमिक्स मेडिकल कॉलेज डॉ एसके जैन ने कहा, पहली बार एन्सथीसिया और एनाटॉमी के कोलाबोरेशन से हो रही यह वर्कशॉप स्टुडेंट्स और फैकल्टीज़ के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इस वर्कशॉप से प्रतिभागियों को न केवल थ्योरीटिकल ज्ञान मिलेगा, बल्कि उन्हें हैंड्स ऑन प्रैक्टिस भी कराई जाएगी। इससे वे अपने प्रैक्टिल ज्ञान को और समृद्ध कर सकेंगे। वर्कशॉप में डॉ पल्लवी अहलूवालिया, डॉ तृप्ता, डॉ निरंजन रेड्डी, डॉ नीतीश सिंह, डॉ विवेक प्रकाश, डॉ सौरभ कुमार, डॉ मोनिका राजशेखर, डॉ नेहा डुडेजा, डॉ उदय किरन आदि मौजूद रहे।

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