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भारतीय मूल की लेखिका झुम्पा लाहिड़ी का बड़ा फैसला, नोगुची म्यूजियम से नहीं लेंगी अवॉर्ड; जानें क्या है वजह

भारतीय मूल की लेखिका झुम्पा लाहिड़ी ने न्यूयॉर्क के नोगुची म्यूजियम से अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने केफियेह पर प्रतिबंध लगाए जाने पर नाराजगी जताते हुए यह फैसला लिया। हालांकि, म्यूजियम का कहना है कि वह पुलित्जर पुरस्कार विजेता झुम्पा के निर्णय का सम्मान करते हैं, लेकिन नई ड्रेस कोड पॉलिसी में केफियेह पर प्रतिबंध लगाया गया है।

बता दें, म्यूजियम ने केफियेह (काले या सफेद कपड़े) पहनने के आरोप में तीन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। दरअसल, केफियेह को फलस्तीनी एकजुटता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसी वजह से म्यूजियम ने नई ड्रेस कोड पॉलिसी लागू की थी, जिसके तहत केफियेह पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

कौन हैं झुम्पा लाहिड़ी?
झुम्पा लाहिड़ी का जन्म लंदन में हुआ था। वे एक आप्रवासी बंगाली भारतीय परिवार की बेटी हैं। जब वे तीन वर्ष की थीं तो उनका परिवार संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने चला गया था। वे उपन्यास, निबंध और लघु कहानियां लिखने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। लाहिड़ी की बड़ी खासियत है कि उनकी लेखन शैली बहुत सरल है। उन्हें उनकी पुस्तक ‘इंटरप्रेटर ऑफ मैलेडीज’ के लिए 2000 में पुलित्जर पुरस्कार मिला था।

अब उन्होंने गाजा में फलस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए केफियेह पहनने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने के बाद क्वींस के नोगुची म्यूजियम से अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया।

म्यूजियम ने क्या कहा?
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, म्यूजियम ने बुधवार को यह जानकारी दी। नोगुची म्यूजियम का कहना है, ‘पुलित्जर पुरस्कार विजेता लेखिका ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। झुम्पा लाहिड़ी ने हमारी नई ड्रेस कोड पॉलिसी के जवाब में 2024 इसामु नोगुची पुरस्कार को नहीं स्वीकार करने का फैसला किया है। हम उनके दृष्टिकोण का सम्मान करते हैं और समझते हैं कि यह पॉलिसी सभी के विचारों से मेल नहीं खा सकती।’

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