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गांधी व शास्त्री के त्याग व बलिदान ने उन्हें महापुरूष बनाया- कुलपति

• देश की आजादी में गांधी व शास्त्री का अविस्मरणीय योगदान

• अवध विवि में महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास़्त्री की जयंती मनाई गई

अयोध्या। डाॅ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंओ लाल बहादुर शास़्त्री की जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो प्रतिभा गोयल व कुलसचिव डाॅ अंजनी कुमार मिश्र, कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो आशुतोष सिन्हा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो नीलम पाठक, परीक्षा नियंत्रक उमानाथ, प्रो चयन कुमार मिश्र सहित अधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों ने गांधी जी व लाल बहादुर शास़्त्री के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित किए। इसके उपरांत कुलपति ने सभी को स्वच्छता की शपथ दिलाई।

गांधी व शास्त्री के त्याग व बलिदान ने उन्हें महापुरूष बनाया- कुलपति

इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि आज के ही दिन महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ। ये ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जिनके योगदान को देश भुला नही सकता है। कुलपति ने कहा कि आत्मा से परमात्मा होने की डगर बहुत कठिन होती है। गांधी के देश के लिए किए सघर्ष ने ही उन्हें आत्मा से महात्मा बनाया।

गांधी जी 1920 के आसपास भारत और असहयोग आंदोलन चलाया। उनका रास्ता अहिंसक था। उन्होंने कामगारों को भी सघर्ष में शामिल कर स्वतंत्रता से जोड़ दिया। क्योंकि यह सघर्ष उनके अकेले से संभव नही था। क्योंकि उनका कहना था कि हिंसात्मक तरीके से प्राप्त अधिकार आपके मूवमेंट को असफल कर सकते है। गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग को अपनाते हुए अधिकारों को प्राप्त करने की लड़ाई लड़ी और देश को अंग्रेजो से आजादी दिलाई।

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कुलपति प्रो गोयल ने शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा कि इस धरती पर सभी ट्रस्टी बन समाज की बेहतरी के लिए कार्य करें। गांधी जी ने सभी को साथ लेकर स्वच्छता की मुहिम चलाई। जिसके लिए उन्होंने खुद बस्तियों में जाकर सफाई की। स्वच्छता के मार्ग पर चलने के लिए लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि पंo लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गांधी को अपना गुरु मानते थे उन्होंने महात्मा गांधी के रास्ते पर चलकर अपने को महान बनाया। वे मेधावी छात्र थे उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा।

गांधी व शास्त्री के त्याग व बलिदान ने उन्हें महापुरूष बनाया- कुलपति

कार्य के प्रति उनकी बहुत निष्ठा थी उन्होंने आजादी का बिगुल बजाया और पढ़ाई बीच में ही छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हो गए। 18 महीने के दूसरे प्रधानमंत्री कार्यकाल में अविस्मरणीय योगदान दिया। दुग्ध और हरित क्रांति उन्ही की देन है। उन्होंने सहकारी मूवमेंट चलाया। जब देश के अनाज में कमी हो गई तब उन्होंने सभी को एक दिन का उपवास रखने की अपील की। जिससे देश में अनाज की कमी न हो। उनके कहने का प्रभाव था कि लोगों ने एक दिन का उपवास रखा। कुलपति ने कहा कि पंo लाल बहादुर के जय जवान जय किसान इस नारे को लेकर देश आगे बढ़ा। देश की सेना ने उनके नेतृत्व में दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब दिया। अंत में कुलपति ने कहा कि आज के दिन इन देश के इन दो महान सपूतों के बताए मार्ग पर चलने का दिन है।

कार्यक्रम में कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो आशुतोष सिन्हा ने कहा कि गांधी जी व पंo शास्त्री के सिद्धांत युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। उनके बताये मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। तभी दोनों महान सपूतों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष डाॅ राजेश सिंह ने भी दोनों महान विभूतियों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान कुलपति, शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों व छात्राओं द्वारा बापू के भजन गुनगुनाएं गए। जिसमें रघु पति राघव राजा राम….एवं वैष्णव जन तेने कहिए भजन से श्रोता मंत्रमुग्ध हुए।

The sacrifice and sacrifice of Gandhi and Shastri made them great men - Vice Chancellor

कार्यक्रम का संचालन प्रो नीलम पाठक ने किया। इस अवसर पर उप कुलसचिव डाॅ रीमा श्रीवास्तव, दिनेश मौर्या, मोहम्मद सहील सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह

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