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सूर्यास्त से 48 मिनट बाद तक जलाएं यम और देव के दीप, जानें- पर्व से जुड़ी खास बातें

वाराणसी। पंच दिवसीय दीपोत्सव की शृंखला में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानी आज नरक चतुर्दशी मनाई जा रही है। शाम को घर के बाहर चार बातियों वाला दीपक यमराज के निमित्त जलाए जाएंगे। वहीं, शाम को मेष लग्न में हनुमान जयंती भी मनाई जाएगी।

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प्रदोष (सूर्यास्त से 48 मिनट आगे तक) यानी शाम 5:33 बजे से 48 मिनट आगे तक के तिल के तेल से भरे हुए दीपों को यम के अतिरिक्त मंदिर, मठ, बाग-बगीचे, बावली, गली में भी जलाना चाहिए।

नरक चतुर्दशी तिथि बुधवार को दिन में 1:04 बजे लगी, 31 अक्तूबर को दिन में 3:12 बजे तक रहेगी। इस बार हनुमान जी का जन्म मेष लग्न में शाम 4:50 बजे से 6:27 बजे तक रहेगा। जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती, अढ़ैया, महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतरदशा, गोचर में शनि का प्रभाव कष्टप्रद हो उन लोगों को इस तिथि पर व्रत रहना चाहिए।

हनुमान जी का विधिवत पूजन कर हनुमान जन्मोत्सव मनाने से शनि देव की अनिष्टता में कमी आती है। जिनका शनि अच्छा है, उन लोगों को विशेष लाभ मिलेगा।

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ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दीपक जलाने पर नरक की यात्रा भोगनी नहीं पड़ती। यम के निमित्त तीन दिन दीपदान होता है। प्रथम दिन धनतेरस को अकाल मृत्यु से निवारण के लिए दीपक जलाया जाता है।

दूसरा नरक चतुर्दशी को नरक की यात्रा से मुक्ति के लिए जलाया जाता है। तीसरा बहन को भी यम की यातना न भोगना पड़े, इसलिए यम द्वितीया को भी दीपक जलाया जाता है। इसीलिए इन तीनों दिन यम के निमित्त दीप जलाने से जीवन सुखमय व्यतीत होता है।

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