पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री से कुछ सवाल पूछे हैं और उनसे निवेदन किया है की बिना झूठ बोले, बिना इधर उधर की बात किए उन सवालों के जवाब प्रदेश के लोगों को दिए जाएं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यह बताएं कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षु डॉक्टर हड़ताल पर क्यों हैं, वह प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं? उनकी क्या मांगें हैं? उन्हें क्यों नहीं पूरा किया जा रहा है? क्या वह कोई नई या गैरवाजिब मांग कर रहे हैं? और उनकी मांगें मानी जाएंगी या नहीं? हर दिन मीडिया के सामने बड़ी-बड़ी बातें करना, झूठ बोलना और सपने दिखाना अलग बात है। जमीन पर काम करना अलग बात।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि यह सरकार प्रशिक्षु डॉक्टर को उनका स्टाइपेंड भी चार महीनों से नहीं दे रही है। ऐसे में उनका खर्च कैसे चलेगा? डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्र बेहद सामान्य परिवार से भी होते हैं जिनके लिए सरकार द्वारा हर महीने अनिवार्य रूप से दिए जाने वाले स्टाइपेंड का बहुत महत्त्व होता है, लेकिन सरकार के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। सरकार अपने फैसलों में मानवीय दृष्टिकोण लाए तब उन्हें लोगों की कठिनाइयों का अंदाजा हो पायेगा। सरकार की तानाशाही की वजह से मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रहे आम लोगों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इसके पहले डीएनबी के छात्रों को स्टाइपेंड न देने के कारण नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन एंड मेडिकल साइंसेज ने हिमाचल प्रदेश के कोटे पर रोक लगा दी थी जिसके कारण 63 विशेषज्ञ डॉक्टर्स से प्रदेश को वंचित होना पड़ा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर हिमाचल प्रदेश ने व्यवस्था का पतन क्यों हो रहा है? क्या इसके बारे में प्रदेश के मुखिया प्रदेश के लोगों को बताएंगे? लोगों को मिलने वाली बहुत सारी सुविधाएँ घोषित या अघोषित रूप से हर दिन क्यों छीनी जा रही है? क्यों प्रदेश के अस्पतालों के इतने बुरे हाल हैं? स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह क्यों बेहाल हैं? प्रदेश भर में अवैध खनन के मामले क्यों बढ़ते जा रहे हैं? अवैध खनन करने वाले लोगों को किसका संरक्षण प्राप्त है, जो वह बिना खौफ के खनन करते जा रहे हैं? रोकने गए अधिकारियों के साथ अभद्रता करने और धमकी देने के मामले मीडिया के माध्यम से सामने आ रहे है? क्या प्रदेश में इसी तरह के व्यवस्था परिवर्तन की बात मुख्यमंत्री कर रहे थे?
जहां पर किसी प्रकार की व्यवस्था के बजाय सिर्फ अराजकता का बोलबाला रहे। सुख की सरकार के नाम पर प्रदेश को दुख देने वाले और व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था का पतन करने वाले मुख्यमंत्री से प्रदेश के लोग अब कहने लगे है कि अब कोई और नारा न दीजिए नहीं तो उसके बदले भी उन्हें परेशानी उठानी पड़ेगी। अब तो मुख्यमंत्री महोदय अपने झूठ की दुकान जब मंचों से सजानी शुरू करते हैं तो प्रदेश के लोग उठकर जाने लगते हैं।