बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ चल रही हिंसा के खिलाफ वैश्विक स्तर पर चिंता की लहर बढ़ती जा रही है। ब्रिटेन की संसद तक में यह मुद्दा उठ चुका है। अब अमेरिका में भी इसके खिलाफ राष्ट्रपति भवन यानी व्हाइट हाउस के करीब बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी की जा रही है। इसके बावजूद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार कट्टरपंथियों से लेकर चीन-पाकिस्तान तक के दबाव में अपना भारत विरोधी एजेंडा छोड़ने को तैयार नहीं है।
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अब यूनुस सरकार ने एक और ऐसा क़दम उठाया है, जिससे भारत को बड़ा झटका लगने जा रहा है। यूनुस सरकार ने शेख हसीना के कार्यकाल में भारत के साथ किए गए मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़े एक समझौते को रद्द कर दिया है। इस समझौते से भारत अपने नॉर्थईस्ट राज्यों में इंटरनेट की स्पीड और कवरज बढ़ाने की जुगत भिड़ा रहा था, लेकिन अब यह उम्मीद टूट गई है। बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिरों पर हमलों के बीच ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई बांग्लादेश में मौजूद रोहिंग्या शरणार्थियों में से भारत के खिलाफ आतंकी तैयार करने में जुटी हुई है।
बांग्लादेश में हिंदुओं की एथेनिक क्लींजिंग चल रही है। 53 साल बाद पाकिस्तान बांग्लादेश को हथियार भेज रहा है। खालिदा ज़िया और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच मुलाकातें भी हो रही हैं। बांग्लादेश में वही हो रहा है जो पहले बाबर ने किया फिर कश्मीर में हिंदुओं के साथ हुआ। दरअसल पाकिस्तान बांग्लादेश का इस्तेमाल करते हुए भारत को टारगेट कर रहा है। वह भी 3 तरफ़ से।
पाकिस्तान का पहला शिकार बांग्लादेशी हिंदू, जिनपर इतने अत्याचार हो रहे है कि हर परिभाषा छोटी पड़ जाए. दूसरा हिस्सा है बांग्लादेशी फ़ौज को मदद, जिसके जरिए पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक और मोर्चा खोलना चाहता है और तीसरा भारतीय सामानों का बहिष्कार…ताकि भारत को आर्थिक चोट पहुँचे। बांग्लादेश ने कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और त्रिपुरा (अगरतला) में अपने शीर्ष राजनयिकों को ‘परामर्श’ के लिए वापस बुलाया है। वहीं बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की फोटो नोटों से भी हटा दी गई है।
भारत के नॉर्थ-ईस्ट इलाके के कई राज्यों में मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत अच्छी नहीं है। इसी कारण भारत ने बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के दौरान एक समझौता किया था। इस समझौते के तहत बांग्लादेश का उपयोग रीजनल डिजिटल हब के तौर पर किया जाना था, जिसमें बांग्लादेशी सीमा पर इंटरनेट सर्किट स्थापित कर नॉर्थ ईस्ट राज्यों में डेटा ट्रांसमिशन के लिए ‘बैंडविड्थ ट्रांजिट’ सुविधा देनी थी।
यह काम भारती एयरटेल को बांग्लादेशी कंपनियाँ समीट कम्युनिकेशंस और फाइबर एट होम के साथ मिलकर करना था। यह प्रस्ताव इन कंपनियों ने बांग्लादेश टेलीकम्युनिकेशन रेगुलेटरी कमीशन के सामने पेश किया गया था, जिसे सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी।
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ अमेरिका में भी चिंता जताई गई है। भारतीय मूल के अमेरिकियों ने इसके खिलाफ वॉशिंगटन में व्हाइट हाउस के करीब और शिकागो में अगले दो दिन के दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित करने का ऐलान किया है। यह प्रोटेस्ट मार्च हिंदू एक्शन संगठन की तरफ़ से व्हाइट हाउस के पास ‘बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार’ नाम से सोमवार को आयोजित होगा, जबकि रविवार को शिकागो में ‘नरसंहार रोकें: बांग्लादेश में हिंदुओं की जान बचाएं’ के नाम से किया जाएगा। इनमें अमेरिका के नामी-गिरामी भारतीय लीडर मौजूद रहेंगे।