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जगजीत सिंह की जिंदगी में आए थे दुखों के तूफान, फिर उन्होंने गाया ऐसा अमर गीत जो सबको छू गया

जगजीत सिंह की जिंदगी में आए थे दुखों के तूफान, फिर उन्होंने गाया ऐसा अमर गीत जो सबको छू गया

गजल सम्राट जगजीत सिंह की आज 84वीं जयंती है। कभी अपनी आवाज से ऑडीटोरियम में सिसकियां भर देने वाले जगजीत सिंह ने 10 अक्तूबर 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। जगजीत सिंह ने अपनी जिंदगी में गजलों को आम लोगों तक पहुंचाने का काम किया। यही कारण रहा कि जगजीत को गजल सम्राट कहा गया। जगजीत सिंह की आवाज में इतना दर्द था कि उसे सुनकर लोग भी अपने आंसू नहीं रोक पाते थे। लेकिन ये दर्द बेहद अजीज लोगों की जिंदगी लेकर गले में उतरा था।

राजस्थान में हुआ था जन्म

राजस्थान के श्रीगंगानगर में आज ही के दिन 1941 को जन्मे जगजीत सिंह ने बचपन से ही संगीत की तालीम ली थी। क्लासिकल म्यूजिक में बचपन से ही अपनी आवाज को धार दे रहे जगजीत सिंह ने उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से संगीत की शिक्षा हासिल की। यहां जगजीत सिंह ने खयाल, ठुमरी और ध्रुपद जैसे गायन का अभ्यास किया। इसके बाद डीएवी कॉलेज से पढाई करने के बाद जलधंर के विश्वविद्यालय से मास्टर्स की शिक्षा हासिल की। यहीं से जगजीत सिंह को ऑल इंडिया रेडियो से जुड़ने का मौका मिला।

ऑल इंडिया रेडियो के एक क्लासिकल प्रोग्राम में गाया और लोगों के दिलों में जगह बनाई। साल 1962 में जगजीत सिंह ने एक स्वागत गीत बनाया और तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से मिलने पहुंचे तो सुना दिया। इसके बाद मुंबई आ गए। यहां 70 औक 80 के दशक में अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ गजल गाया करते थे। यहां जगजीत ने खूब संगीत बनाया और एक बेहतरीन सिंगर के तौर पर अपनी जमीन तैयार कर ली।

शोहरत का फलक चूमते ही लगा झटका

जगजीत सिंह 80 के दशक में एक सुपरस्टार सिंगर बन गए थे और उनकी गजलों के लिए भारत समेत विदेशों से भी खूब मांग आती थी। जगजीत सिंह अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ स्टेज पर जाते और लोगों को खुश कर देते। शोहरत के खास मुकाम पर पहुंचने के बाद जगजीत सिंह काफी खुश थे तभी दुखों का पहाड़ उनके ऊपर टूट पड़ा। साल 1990 में जगजीत सिंह के 18 साल के बेटे विवेक का एक मोटर कार एक्सीडेंट में निधन हो गया। इस हादसे ने जगजीत और उनकी पत्नी चित्रा को पूरी तरह तोड़कर रख दिया। इस दुख के बाद जगजीत की पत्नी फिर कभी स्टेज पर नहीं लौटीं।

इतना ही नहीं जगजीत की गजलों में भी दुख टपका करता था। इस हादसे के बाद जगजीत के हर गाने में दर्द का समुंदर उमड़ने लगा और जो भी सुनता बिना सिसके नहीं रह पाता। जगजीत भले ही फेमस हो रहे थे लेकिन कभी खुश नहीं रहे। जवान बेटे की मौत ने जगजीत की सारी हंसी छीन ली। इसके बाद जगजीत को 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2006 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी दिया गया था। साल 2011 में जगजीत सिंह का गुलाम अली के साथ एक कॉन्सर्ट शेड्यूल किया गया था। लेकिन इस कॉन्सर्ट से पहले ही जगजीत सिंह की तबीयत बिगड़ गई और इसी साल उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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गजलों से याद करेगा जमाना

जगजीत सिंह भले ही इस दुनिया को अलविदा कह गए हों, लेकिन अभी भी उनकी कला और गाने धरती पर मौजूद हैं। साथ ही जगजीत की याद दिलाते रहते हैं। जगजीत के बाद फिर कोई दूसरा उनके स्तर का गजल गायक भारत ने नहीं देखा। सभी जगजीत के संगीत को सलाम करते रहे। आज भी जगजीत सिंह अपने गानों और गजलों को लेकर अमर हो गए हैं।

जगजीत सिंह की जयंती पर फैन्स उन्हें याद करते हैं। आज भी दशकों बाद जगजीत की गजल कानों में पड़ते ही मन मुस्कुराने लगता है। जगजीत सिंह की कुछ खास गजलों में ‘होश वालों को खबर क्या’, ‘होठों से छू लो तुम’, ‘कागज की कश्ती’, ‘चुपके चुपके रात दिन’, ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’, ‘तुमको देखा तो ये खयाल आया’ शामिल हैं।

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