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देश में पाम ऑयल का आयात 13 वर्षों के निचले स्तर पर पहुंचा, सालाना आधार पर 65% की आई कमी

देश में पाम ऑयल का आयात सालाना आधार पर 65% घटकर जनवरी 2025 में 2,75,241 टन पर पहुंच गया। आयात का यह आंकड़े पिछले 13 वर्षों में सबसे कम है। तेल कारोबारियों के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोशिएशन के अनुसार पॉम ऑयल के आयात में कमी का सबसे प्रमुख कारण खरीदारों की ओर से सोयाबीन के तेल को प्राथमिकता देना है। एसईए ने तेल के आयात से जुड़े आंकड़े बुधवार को जारी किए। एसईए के अनुसार खाद्य तेलों का आयात जनवरी में 13 प्रतिशत घटकर 10.49 लाख टन हो गया। पिछले साल 12 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया गया था।

भारतीय बाजार में पाम ऑयल की जगह ले रहा सोयाबीन ऑयल
एसईए ने अपने एक बयान में कहा, ” भारत में पाम ऑयल धीरे-धीरे बाजार में अपनी पकड़ खो रहा है। उसकी जगह सोयाबीन का तेल ले रहा है।” मलेशिया से आने वाले पाम ऑयल की सप्लाई में कमी आने से ग्राहकों ने खरीदारी में दक्षिण अमेरिका से आने वाले सोयाबीन ऑयल की खरीदारी में रुचि दिखाई है।

पाम ऑयल से जुड़े उत्पादों में परिष्कृत और गंध वाले (आरबीडी) पामोलीन का आयात सालाना 2,44,678 से घटकर अब महज 30, 465 टन रह गया है। वहीं, क्रूड पाम ऑयल का शिपमेंट 5,32,877 टन से घटकर अब 2,40,276 टन हो गया है। एसईए के अनुसार नेपाल से आने वाले सस्ते सोयाबीन ऑयल और पाम ऑयल ने घरेलू बाजार को प्रभावित किया है। नेपाल ने अक्तूबर 2024 के मध्य से जनवरी 2025 के मध्य तक भारत को करीब 1,10,000 टन खाद्य तेलों का निर्यात किया है।

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