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इंडिया कोऑपरेटिव बैंक का निदेशक मंडल 12 महीने के लिए भंग, परेशान ग्राहक दिखे नाराज

रिजर्व बैंक ने आज न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई के निदेशक मंडल को 12 महीने के लिए भंग कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस अवधि के दौरान बैंक के कामकाज का प्रबंधन करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्रीकांत को ‘प्रशासक’ नियुक्त किया है। 14 फरवरी, 2025 न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई के निदेशक मंडल को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर लागू) की धारा 56 के साथ पठित धारा 36 एएए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भंग किया गया है।

रिजर्व बैंक ने प्रशासक को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता के लिए ‘सलाहकारों की एक समिति’ भी नियुक्त की है। सलाहकार समिति में रवींद्र सपरा (पूर्व महाप्रबंधक, एसबीआई) और अभिजीत देशमुख (चार्टर्ड अकाउंटेंट) को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। बैंक में देखे गए खराब प्रशासनिक गड़बड़ियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

क्या है पूरा मामला, यहां समझें
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पैसे निकालने, जमा करने, लोन देने और किसी प्रकार के लिए लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया है। आरबीआई ने गुरुवार शाम को जारी अपने निर्देशों में कहा, बैंक में हाल ही में हुए महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से उत्पन्न पर्यवेक्षी चिंताओं और बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के कारण ये निर्देश आवश्यक हैं।

बैंक की सबसे अधिक शाखाएं मुंबई और ठाणे में स्थित हैं और बैंक के कुल जमाकर्ताओं की संख्या 3 लाख से अधिक है। बैंक के ग्राहक एवं जमाकर्ता विश्वास उटजी ने डॉटकॉम को बताया कि इस घटना को लेकर बैंक के सभी जमाकर्ता रविवार को गारेगांव में मीटिंग करने वाले हैं। हमारे खातों में पड़े पैसों को लेकर हमने अपने बैंक से भी बात की है, जहां से हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिली है।

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