Breaking News

Navyug Kanya Mahavidyalaya: एकादशी निमित्तक भागवत महापुराण पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय (Navyug Kanya Mahavidyalaya) के संस्कृत-पुराण एवं इतिहास विभाग, सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय वेरावल गुजरात (Somnath Sanskrit University Veraval Gujarat) तथा चातुर्वेद प्रचार संस्थान वाराणसी (Chaturveda Prachar Sansthan Varanasi) के संयुक्त तत्वाधान में एकादशी निमित्तक ‘श्रीमद् भागवते तृतीय स्कन्धानुशीलनम्’ विषयक एक ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी (National Seminar) का आयोजन पूर्व विभाग अध्यक्ष महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी (Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth Varanasi) के प्रोफेसर राममूर्ति चतुर्वेदी (Pro Rammurti Chaturvedi) की अध्यक्षता में संपन्न हुई। संगोष्ठी का संयोजन डॉ चंद्रकांत दत्त शुक्ल सहायक आचार्य संस्कृत विभाग संत गणिनाथ राजकीय महाविद्यालय मऊ द्वारा किया गया।

संगोष्ठी में विषय-वस्तु की संक्षिप्त प्रस्तावना तथा अतिथियों का स्वागत प्रसिद्ध आशुकवि डॉ अरविंद कुमार तिवारी द्वारा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय की डा उमा माहेश्वरी द्वारा मंगलाचरण से किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन संगोष्ठी की सह संयोजिका नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की सह आचार्या डॉक्टर वन्दना द्विवेदी द्वारा किया गया।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय वेरावल गुजरात के पुराण इतिहास विभाग के सह आचार्य डॉक्टर पंकज रावल ने श्रीमद् भागवत महापुराण के तृतीय स्कंध के वैशिष्ट्य पर महत्वपूर्ण उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि सभी जीवात्माओं में आत्म स्वरूप कृष्ण ही विराजमान है। पुराणों के दस लक्षणों और सृष्टि उत्पत्ति का उल्लेख भी उन्होंने अपने संबोधन में किया विदुर जी के प्रश्न, ब्रह्मा जी की उत्पत्ति तथा ब्रह्म के द्वारा भगवान की स्तुति सृष्टि का विस्तार, उद्धव और विदुर जी के मिलन प्रसंग आदि का बड़ा सुंदर ढंग से वर्णन किया गया।

डॉक्टर पंकज रावल ने उद्धव जी का प्रसंग श्री कृष्ण की बाल लीलाओं तथा अन्य लीला चरित्र का भी उल्लेख बहुत ही सुंदर ढंग से सरल शब्दों में किया। उन्होंने बताया कि रिसर्च शब्द ऋषिचर्या से ही आया है। श्री शुकदेव जी गंगा के तट पर बिना संगीत के परीक्षित को भागवत सुनाये है। चतु:श्लोकी का विस्तार कर अट्ठारह हजार श्लोकों से भागवत का निर्माण हुआ है।

राज्यपाल द्वारा सम्मानित हुई भाषा विश्वविद्यालय की परीक्षा नियंत्रक डॉ भावना मिश्रा

द्वितीय विशिष्ट वक्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉक्टर सूर्यकांत त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में जय विजय का बैकुंठ से पतन, हिरण्यकशिपुऔर हिरण्याक्ष का जन्म, हिरण्याक्ष वध, कर्दम जी की तपस्या और भगवान का वरदान, देवहूति के साथ कर्दम प्रजापति का विवाह कपिल देव जी का जन्म आदि का वर्णन किया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर राम मूर्ति चतुर्वेदी ने प्रकृति और पुरुष के विवेक से मोक्ष प्राप्ति का वर्णन, अष्टांग योग की विधि तथा देवहूति को तत्वज्ञान एवं उच्च पद की प्राप्ति का वर्णन अपने शब्दों में किया। संगोष्ठी समन्वियका सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के पुराण इतिहास विभाग की सहायक आचार्य डॉक्टर आशा बेन माढ़क के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

इस अवसर पर नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय, जंतु विज्ञान विभाग की विभाग अध्यक्षा प्रोफेसर ऋचा शुक्ला, मुख्य कोषाधिकारी महोबा डॉक्टर देव कुमार यादव, डॉक्टर अवधेश कुमार पांडेय, डॉ धर्मेंद्र गुप्ता, डॉ योगेंद्र त्रिपाठी, डॉ प्रांगेश कुमार , तथा शोध -छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम के अंत में फीडबैक लिंक के द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्राप्त हुआ।

About reporter

Check Also

सुल्तानपुर घोष पुलिस की कामयाबी: डी 75 गैंग के चार ठग गिरफ्तार

फतेहपुर। जनपद के सुल्तानपुर घोष पुलिस (Sultanpur Ghosh Police) को बड़ी कामयाबी मिली है। सुल्तानपुर ...