राज्यसभा से पारित मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई नए प्रावधान किए गए हैं. इनमें सबसे प्रमुख प्रावधान ओला, उबर जैसे टैक्सी एग्रीगेटर्स व ट्रैवल तथा गुड्स बुकिंग एजेंटों को भी नियमों के दायरे में लाने का है. इसके अनुसार अब इन सबका नियमन केन्द्र के नियमों के तहत होगा. अगर इन नियमों का उल्लंघन होता है, तो राज्यों को केंद्रीय एजेंसी द्वारा विनिर्दिष्ट मानकों के अनुसार कार्रवाई करनी पड़ेगी. यह केंद्रीय एजेंसी सड़क सुरक्षा बोर्ड होगी, जिसके गठन का बिल में प्रावधान किया गया है.
इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट ट्रेनिंग एंड रिसर्च के संयोजक एसपी सिंह के मुताबिक अभी देश में टैक्सी एग्रीगेटर्स, ट्रैवल एजेंसियों तथा गुड्स बुकिंग एजेंटों पर समुचित कानूनी नियंत्रण नहीं है. इनके पंजीयन एवं लाइसेंसिंग की जिम्मेदारी राज्यों के जिम्मे है. लेकिन यातायात नियमों का उल्लंघन अथवा एक्सीडेंट होने पर केवल ड्राइवरों को सजा मिलती है व ये एजेंसियां साफ बच निकलती हैं. अब ऐसा नहीं होगा. नए प्रावधानों के तहत अब एक्सीडेंट की स्थिति में ड्राइवर के साथ उनके सेवायोजक टैक्सी एग्रीगेटर्स, ट्रैवल व गुड्स बुकिंग एजेंटों को भी सड़क और यात्रियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार माना जाएगा. लाइसेंस की शर्तो का उल्लंघन करने पर इनके विरूद्ध 25 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा. जहां बिल में सभी प्रकार के यातायात उल्लंघनों पर जुर्माने की राशि में भारी बढ़ोतरी की गई है. वहीं, कई ऐसे गैर-जुर्मानाकारी प्रावधान भी किए गए हैं जिनसे देश के सड़क सुरक्षा परिदृश्य में जरूरी परिवर्तन आ सकता है. उदाहरण के लिए इसमें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन का प्रस्ताव किया गया है. ये केंद्रीय संगठन सड़क सुरक्षा का सर्वोच्च निकाय होगा जो केन्द्र और प्रदेश सरकारों को सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन से संबंधित सभी पहलुओं के बारे में सलाह देगा. इसमें मोटर वाहनों के लिए मानक, रजिस्ट्रेशन एवं लाइसेंसिंग तथा नयी वाहन प्रौद्योगिकी के प्रोत्साहन पर सलाह शामिल है. सड़क सुरक्षा के लिए कार्य करने वाली संस्था ‘कट्स’ ने इस प्रकार के प्रावधानों को प्रगतिशील और सुधारवादी बताया है.
वाहन फिटनेस: बिल में देश में ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग सेंटर स्थापित करने का प्रावधान किया गया है. इससे जहां ट्रांसपोर्ट विभाग में व्याप्त करप्शन पर रोक लगाने में मदद मिलेगी, वहीं अनफिट वाहनों के सड़क पर आने व हादसों का कारण बनने पर रोक लगेगी. बिल में वाहनों की बॉडी तैयार करने वाली फर्मो (बस बॉडी बिल्डर्स) तथा स्पेयर भागसप्लायरों पर भी सुरक्षा मानकों का पालन न करने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
वाहनों की जाँच और प्रमाणन: वाहनों की जाँच एवं प्रमाणन की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए वाहन की जाँच एवं अनुमोदन देने वाली एजेंसियो को भी मोटर एक्ट के दायरे में लाया गया है व उनके लिए मानक बनाए जाएंगे.
त्रुटिपूर्ण वाहनों की वापसी: खराब गुणवत्ता के वाहन मार्केट में बेचकर ड्राइवर, सड़क उपयोगकर्ताओं अथवा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली ऑटोमोबाइल कंपनियों पर भी लगाम लगाने के प्रावधान विधेयक में किए गए हैं. वाहन में तकनीकी खामी की पुष्टि होने पर कंपनी को केन्द्र के आदेश पर हर हाल में संबंधित सीरीज के सारे वाहन मार्केट से वापस लेने होंगे व ग्राहक को या तो उसी तरह का या उससे बेहतर दूसरा वाहन बदले में देना होगा अथवा वाहन की पूरी मूल्य वापस लौटाने होगी. बिल में सरकार को ऑटोमोबाइल कंपनियों की अनियमितताओं की जाँच का अधिकार भी दिया गया है.
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस: बिल में ट्रक आदि वाहनों के ड्राइवर के सहायक को भी थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के दायरे में लाया गया है. हादसे की स्थिति में बीमा मुआवजे को 50 हजार रुपये से दस गुना बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है. यदि पीड़ित का परिवार ये रकम स्वीकार करने को तैयार हो तो बीमा कंपनी को एक महीने के भीतर इसका भुगतान करना होगा. यदि मुद्दा दावा टिब्यूनल में जाता है तो बीमा कंपनी को उसके निर्णय के अनुसार दावे का भुगतान करना होगा. बिल में हिट एंड रन मामलों में मृत्यु पर क्षतिपूर्ति की राशि को 25 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये, जबकि गंभीर रूप से घायल होने पर क्षतिपूर्ति की राशि को 12,500 रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है.