पूरी तरह से लड़कों में प्रेम की भावना बढ़ाता है। जब दो ग्रहों में असंतुलन होता है तो प्यार स्वाभाविक रूप से होने लगता है। चंद्रमा को मन का मालिक कहा जाता है। चंद्रमा भी प्यार के कारक पैदा करता है। अगर लड़की की कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति एक साथ मज़बूत बैठे हों, स्थान परिवर्तन योग हो, शुक्र बृहस्पति के मुकाबले कमज़ोर हो और नवम-पंचम में हो तो प्यार का योग बनता है।
कहा जाता है वो लोग बहुत नसीब वाले होते हैं, जिनकी शादी भी उनकी मनपसंद लाइफ पार्टनर से होती है और शादी के बाद उनकी सेक्स लाइफ भी अच्छी होती है। लेकिन सब इतने खुशकिस्मत नहीं होते कि उन्हें जीवन में ये दोनों खुशियां नसीब हो सके। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी का सेक्स लाइफ सही न चल रही हो तो इसके पीछे का कारण शुक्र ग्रह हो सकता है। क्योंकि शुक्र ग्रह का सीधा कनेक्शन सेक्स लाइफ से होता है।
दरअसल, सेक्स और प्रेम संबंधी मामलों में आपके स्टार्स का साथ होना बहुत जरूरी है। आइए आपको बताते हैं सेक्स में कैसे काम करती है इस ग्रहों की चाल।
प्यार करने के लिए शुक्र का स्वग्रही होने के साथ-साथ तुला राशि में या अपनी उच्च मीन राशि में होना जरूरी है। एक साथ हो तो प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है। अगर शुक्र सप्तमेश लग्न में बैठा हो और शुक्र से दृष्ट हो तथा बृहस्पति निर्बल अवस्था में हो व नवमेश की स्थिति दुर्बल हो तो इंटरकास्ट लव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
पुरुष की कुंडली में शुक्र और स्त्री की कुंडली में मंगल और बृहस्पति विवाह के कारक ग्रह हैं। प्रेम का मूल कारक ग्रह शुक्र अगर जन्मांग में सप्तमेश से संयोग कर रहा हो और भाग्य या धर्मस्थान का मालिक निर्बल हो तो इंटरकास्ट मैरिज की संभावना बढ़ जाती है।