दूध एवं उससे बने उत्पादों का हम अपने जीवन में जमकर इस्तेमाल करते हैं इसलिए दूध हमारे कारोबार व्यवस्था का बड़ा हिस्सा है। हालांकि, बहुत कम लोगों को दूध के उत्पादन एवं उससे जुड़ी अर्थनीति की जानकारी होगी। भारत दुनियाभर में दूध का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला उद्योग है लेकिन क्या आपको मालूम और दुनिया के और कौन-कौन से देश हैं, जो ना सिर्फ बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन करते हैं बल्कि भारी मात्रा में एक्सपोर्ट भी करते हैं।
इस श्रेणी में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया का नाम सबसे ऊपर आता है। कारोबारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा दिये गए आंकड़ों के मुताबिक न्यूजीलैंड अपनी घरेलू जरूरत से 14 गुना अधिक डेयरी उत्पादों का उत्पादन करता है और अपने कुल दूध का 93 फीसद निर्यात करता है।
कैट ने नीति आयोग के आंकड़े का हवाला देते हुए कहा है कि 2033 तक देश में दूध की डिमांड 29.2 करोड़ टन होगी जबकि देश में दूध का कुल प्रोडक्शन 33 करोड़ टन का होगा।वहीं, भारत के बाद दूध उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर अमेरिका का नाम आता है। हालांकि, इस मामले में हमारे पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान भी पीछे नहीं हैं। ब्राजील, जर्मनी, रूस, फ्रांस और तुर्की भी सबसे अधिक प्रोडक्शन वाले देशों में शामिल हैं।
हालांकि, अब आप सोच रहे होंगे कि हम आज इस बारे में बात क्यों कर रहे हैं। दरअसल, कारोबारियों के संगठन कैट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डेयरी उत्पादों को प्रस्तावित Regional Comprehensive Economic Partnership (आरसीईपी) से बाहर रखने का आग्रह किया है। संगठन ने घरेलू डेयरी किसानों के संरक्षण के लिए यह मांग रखी है। कैट ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार आरसीईपी समझौते को अंतिम रूप दे रही है।
संगठन के मुताबिक सरकार इस करार के तहत न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से दूध के आयात को मंजूरी देने पर विचार कर रही है। ये देश बड़े पैमाने पर दूध का निर्यात करने के लिए जाने जाते हैं। संगठन ने कहा है, ”हमें डर है कि अगर भारत इस करार के तहत डेयरी उत्पादों के आयात को लेकर सहमत हो जाता है तो इससे भारत के डेयरी उद्योग एवं दूध उत्पादकों को काफी अधिक नुकसान होगा। इससे किसानों की आय को दोगुना करने के सपने पर भी फर्क पड़ेगा।”