कहते हैं कि रिकॉर्ड तो बनते ही टूटने के लिए हैं। अगर आप क्रिकेट प्रशंसक है, तो अक्सर पढ़ते होंगे कि अमुक खिलाड़ी ने फलां महान का रिकॉर्ड तोड़ दिया। व अगर रिकॉर्ड का हो, तो कौन खिलाड़ी होगा जो उनकी बराबरी ना करना चाहे या मौका मिलने पर ना तोड़ना चाहे। यकीनन, ऐसे खिलाड़ी कम ही होंगे। हां, ऑस्ट्रेलिया (Australia) का ही एक महान कैप्टन जरूर ऐसा हुआ है, जिसने मौका मिलने के बाद भी डॉन ब्रैडमैन के सर्वोच्च स्कोर के रिकॉर्ड को तोड़ने की प्रयास नहीं की।
यह वाक्या 1998 का है। पेशावर में मेजबान पाक व ऑस्ट्रेलिया (Australia vs Pakistan) के बीच टेस्ट मैच खेला जा रहा था। मैच में पहले ऑस्ट्रेलिया ने बैटिंग की। उसने फ्लैट विकेट पर खूब रन बनाए। जब दूसरे दिन का खेल समाप्त हुआ तो ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 4 विकेट पर 599 रन था। व रिकी पोंटिंग 76 रन बनाकर नाबाद थे।
जब तीसरे दिन का खेल प्रारम्भ होता तो मार्क टेलर अपनी पारी 334 रन से आगे बढ़ाते। उस वक्त 334 किसी भी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर का टेस्ट मैचों में सर्वोच्च स्कोर था। यह रिकॉर्ड डॉन ब्रैडमैन के नाम था। ब्रैडमैन ने 1930 में यह स्कोर बनाया था। करीब 68 वर्ष बाद मार्क टेलर इसी स्कोर पर नाबाद खड़े थे। फिर उन्होंने अगले दिन यानी 17 अक्टूबर 1998 को ऐसा निर्णय लिया, जिसके लिए पूरी संसार ने तारीफ की।
दरअसल, अगर मार्क टेलर अगले दिन एक रन व बना लेते तो ब्रैडमैन के स्कोर से आगे निकल जाते। तब ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा स्कोर उनके नाम हो जाता। लेकिन मार्क टेलर ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने तीसरे दिन मैदान पर उतरने से पहले ही पारी घोषित कर दी। मार्क टेलर के इस निर्णय की दुनियाभर में तारीफ हुई। बोला गया कि यह किसी क्रिकेटर द्वारा ब्रैडमैन का सम्मान करने का अनोखा, लेकिन सर्वश्रेष्ठ उपाय था।
बाद में मार्क टेलर ने एक साक्षात्कार में बताया कि वे उन्होंने मैच के तीसरे दिन करीब 15 मिनट व बल्लेबाजी करने के बारे में सोचा। लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो लोग कहेंगे कि उन्होंने सिर्फ ब्रैडमैन का स्कोर पार करने के लिए बैटिंग का निर्णय लिया। इसी के बाद उन्होंने पारी घोषित करने का फैसला ले लिया।