सड़क पर जब पहली बार कार उतरी तो उसका मैकेनिज्म, जैसे सीट, एक स्टीयरिंग ह्वील, ड्राइवर कंट्रोल पावर और ब्रेक ड्राइवर के इर्द-गिर्द हुआ करता था। लेकिन, बदलती टेक्नोलॉजी के साथ ड्राइवर और उसके आसपास घूमता कार का मैकेनिज्म भी बदल रहा है। या यूं कहें कि ऑटोनोमस व्हीकल टेक्नोलॉजी ने पूरी तरह से ड्राइवर की जरूरत ही खत्म कर दी है।अपडेट होती और नई सेल्फ ड्राइविंग टेक्नोलॉजी से ड्राइवर-लेस कारें ह्यूमन ड्राइवर वाली गाड़ियों से भी ज्यादा सुरक्षित होंगी। नई जेनरेशन की ड्राइवरलेस कारों का ऑटोनोमस व्हीकल केबिन मोबाइल लिविंग रूम जैसा होगा।
ध्यान देने वाली बात ये है कीगाड़ियों की विंडों, विंडशील्ड और रूफटॉप डिस्प्ले का काम करेंगे। इसमें 3डी होलोग्राम इफेक्ट के जरिए डायनामिक विजुअल कंटेंट दिखेंगे। अगर कहीं सड़क निर्माण का कार्य हो रहा है या घुमावदार रास्ता है तो उसका डिटेल 3डी में दिखेगा। साथ ही जिस इलाके में आप सफर कर रहे हैं इसका स्थानीय इतिहास भी यह गाड़ियां बताएंगी।वहीं, अब नई जेनरेशन की कारें ड्राइवरलेस व्हीकल ट्रांसपोर्टेशन को ध्यान में रखकर डिजाइन हो रही हैं, जिनमें ड्राइवर डैश-बोर्ड ही नहीं होगा। ड्राइवरलेस कारों के साथ सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा की हैं। कई जगह टेस्टिंग में ये ऑटोनोमस कारें सुरक्षा के पैमाने पर खरी नहीं उतरी हैं। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक नई टेक्नोलॉजी से यह समस्या भी खत्म होने वाली है।
इसके साथ हीसड़क पर साथ चल रहे है यात्रियों या गाड़ियों को सूचित करने के लिए इसमें खिड़कियों पर संकेतक देने का सिस्टम भी होगा। गाड़ियों का रूफटॉप और विंडो असली पत्थर और लकड़ियों का बनाया जा रहा हैं। टच लाइटिंग के साथ इसमें लाइट को अपने हिसाब से आप कम ज्यादा भी कर सकेंगे। बिना ड्राइवर डैश-बोर्ड वाली इन गाड़ियों में यात्री सुविधा अनुसार फीचर यूज करेगा।