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WHO के मानकों से पीछे है देश में बोतलबंद पानी…

देश के कई शहरों में सप्लाई किए जा रहे पानी की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सरकार अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक पानी को स्वच्छ बनाने की तैयारी कर रही है। पर देश में बिकने वाला बोतलबंद पानी भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पिछले साल बोतलबंद पानी के मानकों में बदलाव किया था, पर भारतीय मानक ब्यूरो और एफएसएसएआई ने अपने मानकों में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप बदलाव नहीं किए हैं।

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बोतलबंद पानी को लेकर बीआईएस व एफएसएसएआई के मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों से अलग हैं। यह फर्क सिर्फ बोतलबंद पानी ही नहीं, बल्कि मिनरल वॉटर में भी है। डब्लूएचओ ने बोतलबंद पानी में रसायनों को लेकर जुलाई 2017 में कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे, पर अभी तक बीआईएस ने इन दिशानिर्देशों को लेकर लागू नहीं किया है। बीआईएस का कहना है कि इसके दिसंबर के दूसरे सप्ताह में विशेषज्ञों की समिति की बैठक होगी, उसमें इन दिशानिर्देशों पर विचार किया जाएगा।

बीआईएस का कहना है कि बोतलबंद पानी को लेकर बीआईएस के मानक 2016 में बने थे, बीआईएस 2021 में इन मानकों की पूरी तरह समीक्षा करेगा। मिनरल वॉटर को लेकर बीआईएस ने आखिरी संशोधन अक्तूबर 2018 में किए थे। बीआईएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मिनरल वॉटर की गुणवत्ता को लेकर डब्लूएचओ ने कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। फिर भी विशेषज्ञों की समिति जल्द डब्लूएचओ के गुणवत्ता मानकों को लेकर बैठक कर मानकों की समीक्षा करेगी।

पानी बोतल पर सिर्फ एक चिह्न-
इसके साथ सरकार पानी की बोतल पर आईएसआई और एफएसएसएआई के दो चिह्न के बजाए एक चिह्न लगाने की भी तैयारी कर रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि एक सामान के लिए अलग-अलग मानक होने के बजाए सिर्फ एक मानक होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने ‘एक देश-एक मानक’ योजना शुरू की है। बीआईएस और एफएसएसएआई के अधिकारी जल्द इस बारे में कोई निर्णय लेंगे ताकि पानी की बोतल पर सिर्फ एक चिह्न रहे।

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