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असम सरकार ने भाषा व जमीन, मूल निवासियों के कल्याण की रक्षा के लिए इन तरीकों की करी घोषणा

असम में संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के विरूद्ध प्रदर्शन के बीच भाजपा नीत असम सरकार ने शनिवार को असमी भाषा  जमीन, मूल निवासियों के कल्याण  स्वायत्त आदिवासी परिषदों की रक्षा के लिए कई तरीकों की घोषणा की


वित्तमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोला कि प्रदेश मंत्रिमंडल केन्द्र से संविधान के अनुच्छेद-345 में संशोधन कर बंगाली बहुल बराक घाटी, दो पर्वतीय जिलों और बोडोलैंड क्षेत्रीय प्रशासनिक जिलों (बीटीएडी) को छोड़कर असमी भाषा को प्रदेश की भाषा घोषित करने का अनुरोध करेगी

हेमंत बिस्व सरमा ने बताया कि सीएम सर्वानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की हुई मीटिंग में विधानसभा के अगले सत्र में एक कानून लाने का भी निर्णय किया गया, जिसके जरिये प्रदेश के सभी अंग्रेजी  अन्य माध्यमों के स्कूलों में असमी भाषा को पढ़ाना जरूरी किया जाएगा

सरमा ने बोला कि मूल निवासियों के जमीन पर अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए बाहरी लोगों को जमीन हस्तांतरित करने से रोकने के लिए विधानसभा में एक विधेयक लाया जाएगा उन्होंने बताया कि असम विरासत संरक्षण विधेयक भी लाया जाएगा, जिसमें विरासत संपत्ति का अतिक्रमण, खरीदना  बेचना संज्ञेय क्राइम होगा

वित्तमंत्री से जब पूछा गया कि नए फैसलों की घोषणा ऐसे समय क्यों की गई जब प्रदेश में सीएए के विरूद्ध प्रदर्शन हो रहे हैं? इसपर सरमा ने कहा, ‘प्रदर्शन  विकास की गाड़ी साथ-साथ चलती है हम 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हो रहे हैं हमारे पास अपने वादों को पूरा करने के लिए केवल एक वर्ष का समय है ’

‘मूल निवासियों के जमीन अधिकारों के संरक्षण के लिए लाएंगे बिल’
हेमंत बिस्व सरमा ने बोला कि प्रदेश की कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि अगले विधानसभा सत्र में एक नया बिल लाया जाएगा, जिससे प्रदेश से मूल निवासियों की जमीन के अधिकार सुरक्षित किए जाएंगे इस बिल के तहत मूल निवासी अपनी जमीन सिर्फ मूल निवासियों को ही बेच सकेंगे ‘ उन्होंने बताया कि असम विरासत संरक्षण विधेयक भी लाया जाएगा, जिसमें विरासत संपत्ति का अतिक्रमण, खरीदना  बेचना संज्ञेय क्राइम होगा

सरमा ने बोला कि मंत्रिमंडल ने सभी जनजातीय स्वायत्त परिषदों (मिसिंग, रभा, सोनोवाल कछारी, थेंगल कछारी, देओरी  तीवा) को संवैधानिक दर्जा देने का निर्णय किया है, ताकि उन्हें अधिकार  सहूलियत के साथ केन्द्र  प्रदेश दोनों से धन मिल सके

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