लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि समाजवादी पार्टी नागरिकता संशोधन अधिनियम तथा एनआरसी के पक्ष में नहीं है। उसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन जनता का अधिकार है लेकिन उसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं हो सकता है। शांतिपूर्ण एवं अहिंसात्मक ढंग से ही अपनी बात रखनी चाहिए।
श्री यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे सामाजिक सद्भाव बनाने और आपसी भाईचारा कायम रखने के लिए जनता के बीच जाएं और उनसे सम्पर्क बनाकर समाजवादी पार्टी का पक्ष रखे। वे किसी के बहकावे में नहीं आएं। समाजवादी पार्टी लोकतांत्रिक विरोध की पक्षधर है और उसकी मांग है कि किसी के साथ अन्याय न किया जाए। सरकार द्वारा निर्दोषों को फंसाने की साजिश नहीं होनी चाहिए।
श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा को मनमानी छोड़कर जनता की आवाज सुननी चाहिए। सत्ता के रोड़ रोलर से जनमत को कुचला नहीं जा सकता है। देश को तबाह करने और समाज की विषमता को बढ़ावा देने की किसी भी प्रवत्ति को देश स्वीकार नहीं करेगा। असहमति को विद्वेषभावना से नहीं देखा जाना चाहिए। देश में गंगा-यमुनी संस्कृति पर आघात को जनता बर्दाश्त नहीं कर सकती।
श्री यादव ने कहा कि देश में अमन चैन कायम रहे, इसकी प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार जनता के हितों की रक्षा के लिए चुनी जाती है। उसे संविधान के दायरे में ही काम करना होता है। भारत के संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता के साथ व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता-अखण्डता सुनिश्चित करने तथा बंधुता बढ़ाने का संकल्प दिया गया है। संविधान की मूलभावना से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जा सकता है। ऐसा करना संविधान की शपथ की अवहेलना और राष्ट्रीय हितों से खिलवाड़ करना होगा। भाजपा सरकार को भी संविधान का सम्मान करना सीखना चाहिए। लोकतंत्र की मर्यादा एवं नैतिकता का सम्मान होना आवश्यक है।