अब यमुना एक्सप्रेस मामले की जांच सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) करेगी। बुधवार को अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने अपनी एफआईआर में प्राधिकरण के पूर्व सीईओ समेत कुल 21 लोगों के नाम दर्ज किए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश के बाद एजेंसी ने 126 करोड़ के कथित घोटाले की जांच अपने हाथों में ली है।
इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते साल जुलाई माह में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। ऐसा आरोप है कि यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पूर्व सीईओ ने अन्य अधिकारियों के गठजोड़ से मथुरा के 7 गांवों में 19 कंपनियों की मदद से 85.49 करोड़ रुपये में जमीन की खरीदी थी। फिर इसी जमीन को प्राधिकरण को ऊंचे दाम पर बेच दिया गया, जिससे प्राधिकरण को 126 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इससे पहले साल 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के साथ यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) की वित्तीय जांच (ऑडिट) नियंत्रक एवं लेखा महारीक्षक (सीएजी) से कराने का फैसला लिया था। इस संबंध में औद्योगिक विकास विभाग ने सीएजी के अकाउंटेंट जनरल को पत्र भेजा था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने घोटाले के इस मामले में बीते दिनों बुलंदशहर से अजीत नाम के शख्स को गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला है कि अजीत प्राधिकरण के तत्कालीन ओएसडी का रिश्तेदार है। इस मामले में प्राधिकरण के पूर्व सीईओ जेल में हैं।