श्वास की नली से हवा फेफड़ों में पहुंचती है. जब श्वास नली के छेद सुकड़ जाएं व श्लेष्मा भर जाने के कारण छेद बंद हो जाएं तो वायु नियमित रूप से नहीं आ पाती है. यह दमा कहलाता है. सर्दी में यह समस्या बढ़ जाती है.
ये पॉइंट दबाएं : कॉलर बोन के अच्छा नीचे सीने पर और कंधे के नीचे पीठ पर. कंधों के अच्छा नीचे पीठ पर निकली हुई हड्डी पर प्रेशर दें. इससे कब्ज, छींक और मांसपेशियों की जकड़न जैसी समस्या में आराम मिलता है.
हथेली व कलाई के जोड़ पर बिल्कुल केन्द्र में जो पॉइंट है उस पर प्रेशर दें. गले की खराश, सांस की तकलीफ व कफ में आराम मिलता है.
अंगूठे के नीचे के बिंदु पर 1 मिनट तक अुंगली से तेज दबाव बनाएं. इससे फेफड़ों को आराम मिलता है. दमा के रोगियों को हल्का भोजन करना चाहिए. सोने से 3 घंटे पहले भोजन करना चाहिए. शहद और लहसुन का सेवन लाभदायक है. रोगी को विटामिन सी लेना चाहिए. रोजाना 8—10 गिलास पानी पीना चाहिए.
ये भी करें : तीन अंजीर दूध में उबालकर रोज खाएं. आठ खजूर खाकर गर्म पानी पीने से कफ बाहर निकलता है. तीन छुआरे रात को दूध में उबालें. गुनगुना दूध पीएं. छुआरे को चबाकर खाएं. इसके साथ पानी न पीएं. इससे कफ कम होता है.