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UP board exam: शिक्षकों की जांच में पकड़ी गईं चालाकी, जानें पूरा मामला…

यूपी बोर्ड परीक्षा 2020 के लिए हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के मूल्यांकन कार्य के लिए इन दिनों अध्यापक अध्यापिकाओं का विवरण वेबसाइट पर अपलोड कर रहा है। बोर्ड ने जब प्रैक्टिकल को अपलोड किए गए विवरण की जांच की तो पता चला कि कई शिक्षकों का विवरण गलत है। जो स्कूल केवल हाईस्कूल स्तर तक ही मान्यता प्राप्त हैं, उनमें इंटरमीडिएट स्तर पर अध्यापन कार्य होना दर्शाया गया है जो कि मान्य नहीं है। कुछ प्रधानाचार्य ने स्वयं के मात्र स्नातकोत्तर परीक्षा का विषय ही वेबसाइट पर दर्शाया है। स्नातक स्तर पर किन विषयों से परीक्षा पास की गई है इसका उल्लेख ही नहीं किया गया है। कुछ अवकाश प्राप्त शिक्षकों की जन्मतिथि का वेबसाइट पर उल्लेख नहीं है।

वहीं कुछ ने हाईस्कूल स्तर पर विद्यालय में अध्यापन कार्य के लिए नियुक्त होना दर्शाया गया है। मगर उनके प्रशिक्षित स्नातक होने की स्थिति वेबसाइट पर स्पष्ट नहीं है। ऐसा ही इंटरमीडिएट स्तर पर अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षकों ने स्नातकोत्तर परीक्षा का विषय नहीं स्पष्ट किया है। शैक्षिक योग्यता में एमएससी दर्शाया गया है किंतु विषय के आगे एमए और एमकॉम अंकित है। इसी प्रकार से एमए और एमकाम को दर्शाया गया है ऐसी विषय एमएससी के अंकित हैं।

गलत तैनाती पर प्रधानाचार्य होंगे दोषी-
बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने सभी डीआईओएस को पत्र जारी कर सुधार का निर्देश दिया है। डीआईओएस मनभरन राम राजभर ने प्रधानाचार्य को निर्देश दिया है कि वेबसाइट पर अपने स्कूल में कार्यरत सभी अध्यापक अध्यापिकाओं के ऑनलाइन अपलोड कराए गए विवरण की जांच कर लें। यदि उनमें कोई गलती दिखती है तो 31 जनवरी 2020 तक उसको सही करके अपलोड कर दें। यदि फिर भी कोई अध्यापक-अध्यापिका उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में गलत तरह से नियुक्त हो जाते हैं तो उसकी पूरी जिम्मेदारी प्रधानाचार्य की होगी।

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