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महासागरों के जलवायु पैटर्न से जुड़ी है छोटे बच्चों में डायरिया की बढ़ोतरी, जानिये कैसे

हर दिन संसार भर में छोटे बच्चों में जानलेवा डायरिया के मामलों में बढ़ोतरी महासागरों की जलवायु के पैटर्न से जुड़ी हो सकती है। वहीं एक अध्ययन के अनुसार, इस पैटर्न में परिवर्तन की यदि आरंभ में ही चेतावनी दे दी जाए तो इस महामारी से बचने के लिए लोगों को तैयार किया जा सकता है। जंहा जर्नल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि कम व मध्यम आयु वाले राष्ट्रों में पांच वर्ष से छोटे बच्चों की मृत्यु के लिए डायरिया दूसरा सबसे बड़ा कारक है। इन राष्ट्रों में दो वर्ष की आयु से पहले ही लगभग 72 फीसद बच्चों की मृत्यु हो जाती है।

पूरी संसार पर प्रभाव डालता है अल नीनो: जानकारी के अनुसार कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया है कि ‘अल नीनो-सदर्न आस्किलेशन (ईएनएसओ) एक युग्मित महासागरीय वायुमंडली प्रणाली है जो विषुवतीय प्रशांत महासागर में फैली हुई है। उन्होंने बोला कि ईएनएसओ अल नीनो (गर्म सागर के तापमान) व ला नीना (ठंडे समुद्र के तापमान) के बीच तीन से सात वर्ष के चक्र में फैलता है व संसार भर के लोकल मौसम के पैटर्न को प्रभावित करता है, जिसमें तापमान व वर्षा भी शामिल है।

30 फीसद बढ़े डायरिया के मामले: आपकी जानकारी के लिए हम आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि बोत्सवाना में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में डायरिया के मामलों व ईएनएसओ के बीच संबंधों का विश्लेषण करते हुए वैज्ञानिकों ने पाया कि ला नीना बारिश के मौसम में ठंडे तापमान, तेज वर्षा व बाढ़ से जुड़ा हुआ है। उनके मूल्यांकन से पता चला है कि ला नीना की स्थिति चार से सात महीने पिछड़ गई है, जिसके कारण दिसंबर से फरवरी के बीच शुरुआती बारिश में डायरिया की घटनाओं में लगभग 30 फीसद की वृद्धि हुई है।

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