जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को हिरासत में रखे गए चार व नेताओं को रिहा कर दिया। जम्मू और कश्मीर प्रदेश से संविधान की धारा 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाये जाने तथा प्रदेश को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद से एहतियात के तौर पर इनको नजरबंद किया गया था। गत साल 5 अगस्त से हिरासत में रहने वाले नेताओं की चरणबद्ध रिहाई ने इन कयासों को भी हवा दी है कि जल्द ही कश्मीर में एक नया सियासी मंच सामने आ सकता है।
सूत्रों के अनुसार, जम्मू और कश्मीर विशेष दर्जा वापस लिए जाने व इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद जिन नए चेहरों ने सियासत प्रारम्भ की है, उनके अतिरिक्त कुछ पुराने नेताओं के साथ यह सियासी विकल्प बनाने का कोशिश चल रहा है। इसी कोशिश में लगे एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस नए प्लैटफॉर्म के नाम के तौर पर ‘जम्मू-कश्मीर पीपल्स फ्रंट’ पर भी विचार विमर्श हुआ है, हालांकि अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है।
स्थानीय सियासी पार्टियों जैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी व पीपल्स कॉन्फेंस के कई बड़े नेता अभी तक हिरासत में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती जैसे नेता भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त सज्जाद लोन, नईम अख्तर व शाह फैसल समेत तक़रीबन 24 अन्य नेता श्रीनगर के MLA हॉस्टल में नजरबंद हैं।