वर्ष 2018 में 20 जून को ईरान ने एक US ड्रोन को मार गिराया था। इसके बाद अमेरिका ने ईरान को इसके नतीजे भुगतने की चेतावनी भी दी थी। बताया जा रहा है कि इसके बाद अमेरिकी साइबर हैकर्स की टीम ने ईरान की मिसाइल प्रक्षेपण में प्रयोग होने वाले कम्प्यूटर्स पर हमला कर दिया था।
समय-समय ये खबर मीडिया के जरिये बाहर आने लग गई थी। अब एक सवाल यह है कि क्या US भी ईरान के साइबर अटैक से डरता है? हालांकि इस विषय पर अमेरिका के रक्षा अफसरों ने किसी भी समाचार पत्र की रिपोर्ट की पुष्टि नहीं की है।
US न्यूज पेपर के अनुसार, ईरान के हमले से ऐसे कंप्यूटरों को नुकसान पहुंचा है जिन्हें रॉकेट और मिसाइल प्रक्षेपण में प्रयोग किया जाता है। खबर में ये भी लिखा है कि US के रक्षा अफसरों ने समाचार पत्र की रिपोर्ट की पुष्टि नहीं की है। US मीडिया ने खबरों के माध्यम से इस बात का दावा भी किया कि, US ने ईरान में अपने निगरानी ड्रोन मार गिराये जाने के बाद ईरान की मिसाइल नियंत्रण प्रणाली और उनके एक जासूसी नेटवर्क पर साइबर हमले किये थे।
बड़ा प्रश्न ये उठता है कि क्या ये कदम US ने ईरान के डर से उठाया या फिर उसकी कोई सोची-समझी रणनीति है। इस खबर पर BBC ने भी ट्वीट किया और लिखा “ईरान की मिसाइल नियंत्रण प्रणाली पर US का साइबर हला” रॉकेट और मिसाइल लांचर चलाने वाले कम्प्यूटरों को निशाना बनाया गया।
ईरान बदला लेने के लिए अपना सबसे बड़ा दाव खेल सकता है, वो साइबर अटैक को भी अपना हथियार बना सकता हैं। तेहरान के पास पश्चिमी देशों के साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर को हानि पहुंचने की अपार क्षमता है और उसने एक साइबर आर्मी भी बना रखी है। जो इस्लामिक गणराज्य ईरान के लिए पूरी तरह से समर्पित और प्रतिबद्ध है ।