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आम बजट से ऊर्जा क्षेत्र में निराशा

लखनऊ. केन्द्र सरकार के वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में वर्ष 2017-18 का जो आम बजट कुल व्यय पेश किया गया,उसमें देश के ऊर्जा क्षेत्र को काफी निराशा हाथ लगी है। इस आम बजट में ऊर्जा क्षेत्र की अनदेखी से यह साबित हो गया है कि आने वाले समय में ऊर्जा क्षेत्र में निजी घरानों का बोल बाला बढ़ेगा जिसका खामियाजा आम जनता भुगतेगी। वैसे तो केन्द्र सरकार ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ाने के लिये तो बड़े.बड़े दावे करती है और आज बजट पेश करते हुए श्री जेटली ने उम्मीद जाहिर की है कि 1 मई, 2018 तक सभी गांवों को बिजली उपलब्ध हो जायेगी।यहाँ सवाल यह उठता है कि जिस देश में गांव से ज्यादा मजरों और कस्बों की संख्या हो वहां पर केवल हर गांव तक बिजली पहुंचाने का कोई मतलब नहीं होगा। बल्कि देश की जनता को यह उम्मीद थी कि इस आम बजट में देश के हर घर को बिजली पहुंचाने हेतु बड़ा बजट आवंटित किया जायेगा। मोदी सरकार शायद यह भूल गयी कि उ0प्र0 में भाजपा द्वारा अपने घोषणा.पत्र में हर घर को 24 घण्टे बिजली 2 साल में बिजली पहुंचाने की बात कही गयी है। ऐसे में उत्पादन के क्षेत्र में कम से कम इस बजट में बड़ा प्रावधान किया जाना चाहिए था,जो बिलकुल ही न के बराबर है। ऐसे में ऊर्जा क्षेत्र पुनः धीमी रफ्तार से ही चलेगा और निजी घराने अपनी मनमानी चलायेंगे। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थाई सदस्य अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में विद्युतीकरण के लिये दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत वर्ष 2017.18 के लिये आज जो बजट में प्रावधान किया गया है वह रू0 4814 करोड़ है,जो निश्चित तौर पर हर घर को बिजली देने के लिये ऊॅट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। पूरे देश के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में कुल ग्रामीण क्षेत्र में घरों की संख्या 167826730 है। जिसमें अभी तक केवल 55.30 प्रतिशत घरों को ही बिजली उपलब्ध हो पायी है। इसी प्रकार उ0प्र0 में कुल ग्रामीण क्षेत्रों के घरों की संख्या 25475071 है, जिसमें अभी तक मात्र 6054978 घरों को बिजली मिली है, यानि कि 23.77 प्रतिशत घर ही बिजली से रौशन हो रहे हैं। आजादी के बाद अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में 19420093 घरों को बिजली नसीब नहीं हुई। ऐसे में बजट में बड़ा प्राविधान किया जाना चाहिए था।उन्होंने कहा कि सोलर पावर के तहत द्वितीय चरण में कुल 20 हजार मेगावाट का जो लक्ष्य रखा गया है और यह कहा जा रहा है कि देश के 7 हजार रेलवे स्टेशनों को भी सोलर पैनल के माध्यम से बिजली देने की योजना है। जब तक सोलर पावर के तहत पारदर्शी नीति नहीं बनेगी तब तक कुछ भी सम्भव होने वाला नहीं है।देश में अन्य बाहरी देशों के नाम पर चायनीज सोलर पैनल बड़े पैमाने पर आयातित हो रहे हैं, जिस पर विशेष नजर रखने की आवश्यकता है।

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