• संभावित मरीजों के बलगम का मौके पर लिया जाएगा नमूना
• इस वर्ष अब तक करीब डेढ़ हज़ार मरीजों की हुई खोज
कानपुर नगर। टीबी मरीजों का पता लगाने लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाएगी। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से 20 फरवरी से सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एक्टिव केस फाइंडिंग) चलाया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं।
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इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर संभावित टीबी मरीजों को खोजेंगी। संदिग्ध मरीजों के बलगम के नमूने मौके पर भी लिए जाएंगे। टीबी की पुष्टि के बाद मरीजों का उपचार शुरू होगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एपी मिश्रा ने बताया कि जनपद में कुल 26 टीबी यूनिट है। इन यूनिटों के माध्यम से सक्रिय क्षय रोग खोज (एसीएफ) अभियान की शुरुआत 20 फरवरी से की जायेगी। जो घर-घर टीबी रोगियों को खोजेंगी। साथ ही सुपरवाइजर टीमों की निगरानी करेंगे। यह अभियान 3 मार्च तक कुल 11 दिन चलेगा।
डॉ मिश्रा ने बताया कि इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम जनपद की कुल 20 प्रतिशत आबादी के शहरी एवं ग्रामीण बस्ती तथा हाई रिस्क क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग करेगी। साथ ही नारी निकेतन, वृद्धा आश्रम, जेल में भी विशेष अभियान चलाकर जांच की जाएगी।
जो भी संभावित मरीज मिलेगा, टीम उसका मौके पर ही नमूना लेगी, इसके बाद दूसरे सुबह खाली पेट उसी मरीज के बलगम का दूसरा नमूना लिया जाएगा, जिसकी जांच टीबी यूनिट पर कराई जाएगी।
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जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि जनपद में 1 जनवरी 2023 से अब तक करीब 1500 क्षयरोगियों की खोज की जा चुकी है। उन्होंने बताया की एसटीएस और एसटीएसएलएस के सहयोग से समस्त हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) को टीबी के संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
राजीव सक्सेना ने बताया कि यदि किसी को दो हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी आ रही हो, खांसते समय खून आता हो, सीने में दर्द तथा बुखार एवं वजन कम होने की शिकायत हो तो वह बलगम की जांच अवश्य कराएं। सरकारी अस्पतालों में यह जांच निशुल्क कराई जाती है।
2025 तक टीबी को करना है जड़ से खत्म
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ आलोक रंजन ने बताया कि केंद्र सरकार की 2025 तक टीबी को जड़ से खत्म करने की योजना है। इसी के मद्देनजर अभियान चलाए जा रहे है। हर तीन माह में सक्रिय टीबी रोग खोज अभियान चलाया जाता है। जो भी मरीज निकलते है, उनका नि:शुल्क उपचार होता है।
साथ ही उन्हें पौष्टिक भोजन के लिए प्रतिमाह 500 रुपए की आर्थिक सहायता सीधे बैंक खातों में उपलब्ध कराई जाती है। सीएमओ ने समस्त प्राइवेट डॉक्टरों, पैथालॉजी संचालकों को भी निर्देशित किया है कि अगर कोई संदिग्ध टीबी रोगी उनके क्लीनिक में आता है तो उसकी सूचना संबंधित नोडल सेंटर या फिर जिला क्षय रोग केंद्र को दें।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर