लखनऊ। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव को बतौर पूर्व मुख्यमंत्री आवंटित सरकारी बंगले को आलीशान बनाने में नियमों को दरकिनार कर खूब खर्च किया गया। लोक निर्माण विभाग की जांच रिपोर्ट में विभिन्न निर्माण कार्यों पर 557.86 लाख रुपये खर्च करने का पर्दाफाश हुआ है। खास बात यह है कि इसमें से 467.86 लाख रुपये के निर्माण अवैध पाए गए हैं। किस मद की धनराशि से अवैध निर्माण कराए गए हैं, फिलहाल इसका जवाब राज्य संपत्ति विभाग के अफसर नहीं दे रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा खाली किए गए चार विक्रमादित्य मार्ग स्थित सरकारी बंगले में भारी तोड़फोड़ किए जाने की जांच रिपोर्ट बुधवार को सौंपी गयी थी। 266 पेज वाली इस रिपोर्ट में बंगले में छत से लेकर किचन, बाथरूम व लॉन में तोड़फोड़ की बात स्वीकारी गई है। फॉल्स सीलिंग तोड़कर बिजली का सामान निकालने, बाथरूम व रसोईघर में फिटिंग, टाइल्स, सिंक व टोंटी आदि के अलावा लॉन से बेंच तक उखाड़ने का जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है।
मुख्य भवन के सुंदरीकरण में
रिपोर्ट में बताया गया है कि बंगले के मुख्य भवन के सुंदरीकरण में 78.39 लाख रुपये, दो मंजिला अतिथि गृह में 174.95 लाख, दो मंजिला सुरक्षा भवन और प्रतीक्षालय में 156.50 लाख, दो मंजिला सर्वेंट क्वार्टर में 56.53 लाख, जनरेटर कक्ष बनाने में 22.92 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसके अलावा ट्रीमिक्स फ्लोरिग निर्माण पर 13.19 लाख रुपये व्यय हुए।
बंगले की साज सज्जा करायी गयी
मुख्य भवन के अतिरिक्त कार्य कराने में 54.15 लाख और पाथ वे बनाने में 1.23 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इस प्रकार 557.86 लाख रुपये लागत से बंगले की साज सज्जा करायी गयी। गौर करने की बात यह है कि अतिथि गृह, सुरक्षा व प्रतीक्षालय भवन की एक मंजिल के निर्माण में 89.99 लाख रुपये का खर्च लोक निर्माण विभाग ने किया। यानि 467.86 लाख रुपये कहां से और किस मद में खर्च किया गया, इसका जवाब राज्य संपत्ति विभाग के पास नहीं है।