उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव मतगणना के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां जमकर उड़ती दिखाई दी। जिसके आने वाले दिनों में गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। प्रदेश के 75 जिलों में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए 12,89,830 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला का रविवार को मतगणना के बाद हुआ।
गौरतलब है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मतगणना की सशर्त इजाजत दी थी। लेकिन चुनाव आयोग और सरकार के सभी दावे धरे रह गए। सुनवाई के दौरान कोर्ट को आश्वस्त किया गया था कि कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जाएगा, जो हवा हवाई साबित हुआ। परिणामस्वरूप मतगणना स्थलों पर प्रत्याशियों और समर्थकों की भारी भीड़ देखने को मिली।
चुनाव, मतगणना और हार जीत के बाद शासन प्रशासन की बड़ी जिम्मेदारी कोरोना महामारी के फैलाव और पंचायत चुनाव के दौरान उपजने वाले विवादों से निपटना होगा। क्योंकि चुनाव से लेकर मतगणना तक जहां सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती नज़र आईं वहीं दूसरी तरफ चुनावी रंजिश ने ग्रामीण इलाकों में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। निश्चित है गांव की सरकार बनने के बाद अब यहां कोरोना संक्रमण और आपसी रंजिश का भयावह मंजर देखने को मिल सकता है। जिसके लिए सरकार को समय रहते ही सख्त कदम उठाने होंगे। बीते दिनों शहरी इलाकों में कोरोना महामारी से बचाव के उपायों के दौरान दवा, ऑक्सीजन और अस्पतालों में मरीजों की भर्ती को लेकर सरकार को मुंह की कहानी पड़ी। अगर यही हाल ग्रामीण इलाकों में देखना पड़ा तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। सम्भव है सरकार ने इसके लिए पहले से तैयारी कर रखी होगी।
मतगणना के दौरान हाथरस के मुरसान स्थित मतगणना केंद्र पर चार कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए। कर्मचारियों के पॉजिटिव पाए जाने की खबर फैलते ही वहां खलबली मच गई। राजधानी लखनऊ के माल, मलिहाबाद, काकोरी समेत सभी मतगणना केंद्रों के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली। वहीं लखीमपुर खीरी, कानपुर सहित कई जिलों में मतगणना में लगे कर्मचारी पॉजिटिव पाए गए। उधर, अयोध्या, गोंडा के मतगणना केंद्रों पर अंदर व बाहर कोविड प्रोटोकॉल महज रस्म अदायगी दिखा। सहारनपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, बागपत, देवरिया, सिद्धार्थनगर, प्रतापगढ़, उन्नाव, बरेली, सीतापुर, बाराबंकी, इटावा, एटा, आजमगढ़ व प्रयागराज तो महज कुछ उदाहरण हैं जहां कोरोना प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी। लगभग सभी जिलों में कोरोना प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी। ऐसे में जाहिर है कि मतगणना के बाद वहां फैलने वाले संक्रमण का गंभीर रूप गांवों में देखने को मिलने वाला है।
◆टीकाकरण की धीमी रफ्तार संक्रमण फैलाव की वजह
उत्तर प्रदेश में अबतक कोरोना संक्रमण के 12,82,504 लाख मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 9.68 लाख लोग ठीक हुए हैं। और 12,874 लोगों की कोरोना से मृत्यु हो गयी है। वहीं अगर टीकाकरण की बात करें तो एक रिपोर्ट के अनुसार एक खुराक पाने वाले लोगों की संख्या 12,63,28,970 करोड़ यानि कुल आबादी का 9.2% है। जबकि जिनका टीकाकरण पूरा हो गया है उनकी संख्या 2,66,21,355 करोड़ है जो आबादी का 2.0 % है। भारत में टीकाकरण की धीमी रफ़्तार को लेकर देश विदेश के कई विशेषज्ञ पहले ही प्रश्चिन्ह लगा चुके हैं। बावजूद इसके चुनाव में व्यस्त केंद्र की जिम्मेदार सरकार ने इस ओर कोई धयान नहीं दिया।
विशेषज्ञों की माने तो अगर भारत कुल आबादी की आधी जनसंख्या को टीका लगा चुका होता तो भारत की मौजूदा स्थिति इससे कहिं बेहतर होती। बहरहाल, अब जबकि सभी चुनाव समाप्त हो चुके हैं ऐसे में उम्मीद जताई जा सकती है सरकार टीकाकरण की रफ्तार को गति देगी। क्योंकि कोरोना से बचाव में एकमात्र टीका ही महत्वपूर्ण हथियार है।