ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दायर करेगा। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने बुधवार को कहा, “हमारे संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए हम दिसंबर के पहले हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।
बोर्ड ने ट्विटर पर लिखा, “इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले का कानूनी तौर पर हमें कोई असर नहीं पड़ेगा। सभी मुस्लिम संगठन हमारे साथ हैं।”
गौरतलब है कि अयोध्या फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से उठे बवाल पर मंगलवार को विराम लगाते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका नहीं डालेगा।
अयोध्या मामले में फैसले के बाद जफरयाब जिलानी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं। हम इस फैसले को आखिरी फैसला नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि हमें 5 एकड़ जमीन दे रहे हैं ये कहां का इंसाफ है।
वहीं, कमाल फारुकी ने कहा था कि इसके बदले हमें 100 एकड़ जमीन भी दें तो कोई फायदा नहीं है। हमारी 67 एकड़ जमीन लेकर बैठे हैं। तो हमको दान में क्या दे रहे हैं वो। हमारी 67 एकड़ जमीन लेने के बाद 5 एकड़ जमीन दे रहे हैं। ये कहां का इंसाफ है।
जिलानी ने कहा था कि मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दूसरी जगह लेने का प्रस्ताव शरीयत के खिलाफ है। इस्लामी शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती। वक्फ एक्ट भी यही कहता है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट बाबरी मस्जिद की जमीन के बदले कोई दूसरी जमीन कैसे दी जा सकती है।
उन्होंने कहा था कि बोर्ड ने मस्जिद के बदले अयोध्या में पांच एकड़ जमीन लेने से भी साफ इनकार किया है। बोर्ड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए इस बात पर विचार नहीं किया कि वक्फ एक्ट 1995 की धारा 104 ए और 51(1) के तहत मस्जिद की जमीन के बदले कोई जमीन लेने या उसे अंतरित करने पर पूरी तरह पाबंदी लगाई गई है।