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प्राकृतिक आपदाओं का संकेत देते हैं जानवर, आप भी जानकर रहे सावधान

कोरोना संकट के बिच बीते कुछ दिनों से दिल्ली में भूकंप के झटके लगने की खबरें आ रही हैं। ऐसे में मन में विचार आता हैं कि किसी तरह आने वाली आपदा के बारे में बता चल जाए तो बचाव के उपाय कर लिए जाए। ऐसे में आपकी मदद कर सकते हैं जानवर जो कि प्राकृतिक आपदाओं के आने से पहले संकेत देने शुरू कर देते हैं। प्राकृतिक आपदा के आने से पहले जानवरों को इसकी भनक पढ़ जाती है ऐसा कहते है। उनको पहले से ही आने वाले खतरे का पता चल जाता हैं और संकेत दे देते हैं। बहुत से जानवरों में संवेदी अंग होते हैं जो भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास कर लेते हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।

-वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादातर जानवर पृथ्‍वी से आने वाली तरंगों के आधार पर और हलचल की आवाज को सुनकर ही भविष्य के प्रति सतर्क हो जाने को आगाह करते हैं। सांपों में किसी भी भूकंप और सुनामी जैसे विनाशकारी तूफान के बारे में जानकारी देने की क्षमता होती है। सांप अपने जबड़े के निचले हिस्से को जमीन से लगाकर धरती से उठने वाली तरंगों और सूक्ष्म हलचल को महसूस कर लेता है। भूकंप का अहसास होते ही संप अपना बिल छोड़कर बाहर आ जाता है क्योंकि वह जानता है कि बिल भी ढह सकता है।

-सांपों की तरह ही मेंढकों को भी भूकंप का पता चल जाता है। यदि सभी मेंढक एक साथ तालाब को छोड़कर पलायन कर जाए तो समझ लो की भूकंप आने वाला है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इटली में आए 2009 के भूकंप से पहले एक तालाब के मेंढकों ने तालाब छोड़ दिया था। इस पर इटली में रिसर्च भी किए गए। एक रिसर्च के मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ होगा क्योंकि धरती के भीतर दबाव के कारण चट्टानों से चार्ज्ड कण निकले होंगे और पानी के साथ उनका रिएक्शन हो गया होगा। मेंढकों के समान या उनकी ही एक प्रजाति भेक को भूकंप से पहले आश्चर्यजनक रूप से पूरे समूह के साथ गायब होते पाया गया है। जहां भी भूकंप आया, वहां लगभग 3 दिन पहले से सारे भेक जादुई तरीके से गायब हो गए।

-पशु, पक्षियों और रेंगने वाले जंतुओं को कई दिन पहले ही भूस्खलन, भूकंप आने या ज्वालामुखी के फूटने का पता चलता जाता है। वह ऐसा स्थान छोड़कर पहले ही चले जाते हैं। मानव इनके विचित्र व्यवहार को समझ नहीं पाता है। यदि मानव इन्हें समझ ले तो वह भी प्राकृतिक आपदाओं से बच सकता है।

-भूकंप आने से कुछ मिनट पहले राजहंस पक्षी एक समूह में जमा होते देखे गए हैं, तो बतखें डर के मारे पानी में उतरती पाई गई हैं। इतना ही नहीं, मोरों को झुंड बनाकर बेतहाशा चीखते हुए पाया गया है। विश्व में जहां भी जानवरों में इस तरह के बदलाव देखे गए हैं, वहां इसके कुछ मिनट बाद ही बड़ी भयंकर तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है। कुछ पक्षियों का व्यवहार विचित्र होते हुए देखा गया है। जैसे वे बार बार वृक्ष पर बैठकर पुन: भूमि पर बैठ जाते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता है कि हम कहां सुरक्षित रहेंगे।

-मछलियां भी समुद्र में सुनामी या भूकंप के आने का पहले ही पता चल जाता है। वे भूकंप की तरंगों को बड़ी तीव्रता से पकड़ती हैं और वह उसके केंद्र से पहले ही बहुत दूर निकल जाती है। माना जाता है कि समुद्र की गहराई में रहने वाली ओरफिश भूकंप को महसूस करने में सबसे तेज होती है। रिबन की तरह दिखने वाली, लगभग 5 मीटर लंबी, डरावने मुंह वाली यह मछली आमतौर पर समुद्र के किनारों पर नहीं आती, पर भूकंप के समय इसे तटों पर पाया गया है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनके किनारों पर पाए जाने के बाद जो भूकंप आया, उसकी तीव्रता 7.5 से अधिक रही है।

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