रायबरेली। सन् 1995 का फरवरी माह ऊंचाहार की राजनीति के लिए बड़े परिवर्तन का गवाह है, जब अटल बिहारी बाजपेई ने ऊंचाहार पहुँचकर भारी जनसमूह को संबोधित किया और अरखा पहुँचकर क्षेत्र के प्रभावशाली युवा नेता अजय पाल सिंह को भाजपा मे शामिल कराकर कांग्रेस के हाथ खाली कर दिये थे।
अटल बिहारी का उद्बोधन आज भी तरोताजा
1995 से पहले तक भाजपा ऊंचाहार मे एक नगण्य राजनैतिक दल था। चंद समर्थक ही संगठन को जिंदा किए हुए थे। पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा स्थानीय स्तर पर नहीं था। क्षेत्र मे कांग्रेस का दबदबा था। कांग्रेस को सपा,बसपा जैसे दल ही चुनौती दे रहे थे। ऐसे समय मे देश के कद्दावर नेताओ मे उस समय शुमार अटल विहारी वाजपेई का ऊंचाहार के राजकीय महाविद्यालय के विशाल प्रांगण मे कार्यक्रम तय हुआ।
वाजपेई को सुनने के लिए भारी जनसमूह ऊंचाहार मे उमड़ पड़ा था। गांवो मे सन्नाटा पसरा हुआ था, तो ऊंचाहार नगर की गलियो मे महिलाओ, बुजुर्गो और नौजवानो का झुंड नजर आता था। रैली का आयोजन यहाँ से चार बार कांग्रेस के विधायक रहे हरनारायन सिंह के सुपुत्र अजय पाल सिंह ने किया था। रैली मे केवल भाजपा ही नहीं अन्य सभी राजनैतिक दल के लोग भी पहुंचे थे।
बाजपेई जी को सुनने के बाद उनका जादू लोगो के सर चढ़कर बोलने लगा था। उसके बाद बाजपेई जी कांग्रेस नेता अजय पाल सिंह के अरखा स्थित आवास पहुंचे और वहाँ पर उन्होने औपचारिक रूप से उनको भाजपा की सदस्यता प्रदान की। इसके बाद जो भाजपा चुनावो मे सबसे नीचे पायदान पर रहती थी, वह भाजपा मुकाबले मे आ गय। क्षेत्र के लोगो के जहन मे बाजपेई जी उद्बोधन आज भी तरोताजा है।